राइस मिलरों ने मांगों को ले बुलंद की आवाज
जागरण संवाददाता सोनभद्र उत्तर प्रदेश राइस मिल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने सोमवार को अपन
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : उत्तर प्रदेश राइस मिल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने सोमवार को अपनी मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर आवाज बुलंद की। मिलरों ने डिप्टी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। इस दौरान धान क्रय नीति में सीएमआर के रिकवरी प्रतिशत घटाने एवं मिलिग चार्ज बढ़ाने की मांग की।
जिलाध्यक्ष बलवंत सिंह ने बताया कि प्रदेश में चावल उद्योग कृषि पर आधारित सबसे बड़ा एवं सर्वाधिक रोजगार सृजन करने वाला उद्योग है। लेकिन सरकारी नीतियों में उपेक्षा के कारण यह उद्योग आर्थिक बदहाली का शिकार है। ज्यादातर चावल उद्योगों के बैंक खाते या तो एनपीए हो गए हैं या होने के कगार पर हैं। इसका कारण है कि वर्तमान में प्रदेश के अंदर 90 फीसद क्षेत्रफल में हाइब्रिड धान की बुवाई की जा रही है। इसमें किसान को अच्छी उपज मिलती है, लेकिन हाइब्रिड धान में चावल की रिकवरी 58 से 60 फीसद तक ही आती है। जबकि सरकार राइस मिलर्स से 67 फीसद चावल लेती है। इसमें अधिकतम 25 फीसद तक ही ब्रोकन मान्य है, वह भी बड़ा ब्रोकन शेष मिलर को नुकसान सहकर प्रतिपूर्ति करनी पड़ती है। राइस मिलर्स को विगत 20 वर्षों 10 रुपये प्रति क्विटल कुटाई मिल रही है तथा विगत दो वर्षों से मिलर्स को कुटाई में 1820 प्रति कुंतल की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है। मिलर्स को 210 प्रति क्विटल कुटाई के एवज में मिल पर आने वाले धान की उतरवाई कुटाई, स्टैंसिल, स्लिप धागा एवं चावल की लोडिग करवाने तक का कार्य करना पड़ता है। जबकि वास्तव में इन सभी कार्यों में 250 रुपए प्रति क्विटल का खर्च आता है। मिलरों ने चावल की रिकवरी 58 से 60 फीसद तक एवं 250 प्रोत्साहन राशि तथा मिलर्स के पुराने भुगतान को ब्याज के साथ दिलवाने की मांग की। इस मौके पर ओम प्रकाश पांडेय, अवनीश सेठ, अमित सिंह, दिलीप कुमार जायसवाल, संतोष कुमार, बेचन प्रसाद, बुद्धिनाथ, अशोक कुमार, विजय, गोविद आदि थे।