कलम की गंगाजली उठाने वाले नामवर को किया गया याद
साहित्य के नीर-क्षीर विवेक का सर्वाधिक चर्चित और समर्पित हंस उड़ गया। संवेदना और यथार्थ की जमीन की आहत है तथा आहत है साहित्य का वह विशाल प्रजातंत्र जिसका नामवर दशकों से उसे उसकी चेतना से परिचित कराते हुए संभावनाओं की जमीन तलाशता रहा। संघर्ष की माटी को पीड़ा के भाल
जासं, सोनभद्र : साहित्य के नीर-क्षीर विवेक का सर्वाधिक चर्चित और समर्पित हंस उड़ गया। संवेदना और यथार्थ की जमीन भी आहत है तथा आहत है साहित्य का वह विशाल प्रजातंत्र जिसका नामवर, दशकों से उसे उसकी चेतना से परिचित कराते हुए संभावनाओं की जमीन तलाशता रहा। संघर्ष की माटी को पीड़ा के भाल पर लगाए, आजीवन कलम की गंगाजली उठाए यह नामवर अक्षर सेना का सेनापति बनकर संदिग्ध शब्दों से कभी युद्ध तो कभी मुठभेड़ करता रहा। यह पक्तियां जनपद के प्रख्यात साहित्यकार डा. दिनेश दिनकर ने गुरुवार को ¨हदी के ख्यात साहित्यकार डा. नामवर ¨सह के निधन पर कही। उन्होंने कहा कि उनके निधन से ¨हदी साहित्य में एक बड़ा खालीपन आ गया है।
अनपरा : रिहंद साहित्य मंच ने साहित्यकार डा. नामवर ¨सह के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। वक्ताओं ने कहा कि मंचों पर वे बेवाक बोलते हुए, सरपंचों और प्रपंचों से संवाद करते हुए, वटवृक्षों के नीचे उगे अंकूरों को सिर तान जीने का जीवन मंत्र देते हुए सदियों तक सहित्यानुरागियों को आंदोलित करते रहेंगे। ईश्वर से उनकी आत्मा को शांति हेतु नर¨सह यादव, मुकेश कुमार, रामजी द्विवेदी, अरूण अचूक, आरडी दूबे, संस्था के महासचिव मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव ने शोक संवेदना व्यक्त किया।