कल से शुरू होगा रमजान का दूसरा अशरा
रमजान का पूरा महीना मोमिनों के लिए खुदा की तरफ से अजमत रहमत और बरकतों से लबरेज है लेकिन अल्लाह ने इस मुबारक महीने को तीन अशरों में तक्सीम किया है। पहला अशरा खुदा की रहमत वाला है जो 10वें रोजा यानी शुक्रवार को खत्म हो जाएगा।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : रमजान का पूरा महीना मोमिनों के लिए खुदा की तरफ से अजमत, रहमत और बरकतों से लबरेज है लेकिन अल्लाह ने इस मुबारक महीने को तीन अशरों में तक्सीम किया है। पहला अशरा खुदा की रहमत वाला है, जो 10वें रोजा यानी शुक्रवार को खत्म हो जाएगा। इसके बाद रमजान का दूसरा अशरा शुरू होगा। रमजान का पहला अशरा बेशुमार रहमत वाला है।
मौलाना हिफाजत हुसैन ने बताया कि पूरे रमजान माह को तीन असरों में बांटा गया है। रमजान के पहले 10 दिनों को पहला अशरा, दूसरे 10 दिनों को दूसरा अशरा और आखिरी 10 दिनों को तीसरा अशरा कहा जाता है। रमजान का पहला अशरा रहमत वाला है। रमजान का दूसरा अशरा रमजान के 11 वें रोजे से 20वें रोजे तक दूसरा अशरा चलता है। यह अशरा माफी का होता है। इस अशरे में लोग इबादत कर अपने गुनाहों से माफी पा सकते हैं। इस्लामिक मान्यता के मुताबिक, अगर कोई इंसान रमजान के दूसरे अशरे में अपने गुनाहों (पापों) से माफी मांगता है, तो दूसरे दिनों के मुकाबले इस समय अल्लाह अपने बंदों को जल्दी माफ करता है। रमजान का तीसरा अशरा 21वें रोजे से शुरू होकर चांद के हिसाब से 29वें या 30वें रोजे तक चलता है। ये अशरा सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। तीसरे अशरे का उद्देश्य जहन्नुम की आग से खुद को सुरक्षित रखना है। इस दौरान हर मुसलमान को जहन्नम से बचने के लिए अल्लाह से दुआ करनी चाहिए। रमजान के आखिरी अशरे में कई मुस्लिम मर्द और औरतें एहतफाक में बैठते हैं। बता दें, एहतकाफ में मुस्लिम पुरुष मस्जिद के कोने में 10 दिनों तक एक जगह बैठकर अल्लाह की इबादत करते हैं, जबकि महिलाएं घर में रहकर ही इबादत करती हैं।