ओबरा पीजी कालेज को मिल सकते हैं नए प्रवक्ता

जागरण संवाददाता ओबरा (सोनभद्र) पिछले एक दशक से शिक्षकों की भारी कमी झेल रहे जनपद क

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 04:44 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 04:44 PM (IST)
ओबरा पीजी कालेज को मिल सकते हैं नए प्रवक्ता
ओबरा पीजी कालेज को मिल सकते हैं नए प्रवक्ता

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : पिछले एक दशक से शिक्षकों की भारी कमी झेल रहे जनपद के सबसे बड़े उच्च शिक्षा केंद्र ओबरा पीजी कालेज को जल्द नए शिक्षक मिल सकते हैं। सोमवार को उच्च शिक्षा निदेशालय ने 14 विषयों में 211 प्रवक्ताओं की काउंसिलिग पूरी कराकर आनलाइन नियुक्ति पत्र जारी कर दिया है। इनमें से कई प्रवक्ता ओबरा पीजी कालेज को मिल सकते हैं। अभी कितने प्रवक्ता ओबरा को मिलेंगे यह सप्ताह भर बाद पता चल सकेगा। नए प्रवक्ताओं को नियुक्ति पत्र की हार्ड कापी सप्ताह भर के अंदर शासन से जारी की जाएगी। सबसे पिछड़े जनपद के तौर पर सोनभद्र शासन की नजर में महत्वाकांक्षी जनपदों में शुमार है। जिसको देखते हुए सोनभद्र के सभी राजकीय महाविद्यालयों को प्रवक्ता मिल सकते हैं। हालांकि प्रवक्ताओं द्वारा स्वयं महाविद्यालयों के चयन का अधिकार होने को देखते हुए फिलहाल आशंका भी बनी हुई है। अक्सर सोनभद्र आने में शिक्षक ज्यादा रूचि नहीं दिखाते हैं। ऐसे में सोनभद्र में कितने प्रवक्ता आएंगे यह बड़ा सवाल रहेगा। शिक्षकों की भारी कमी ने ओबरा पीजी कालेज के शिक्षा स्तर को जहां निम्न स्तर पर लाया है वही पिछले दो सत्र से कोरोना संक्रमण के कारण इसे और झटका लगा है। कभी नैक द्वारा सराहे गए तथा सेंटर फार एक्सीलेंस की उपाधि पा चुके कालेज में कई विषयों के शिक्षक ही नहीं हैं। शिक्षकों की कमी के कारण उच्च शिक्षा का सपना लेकर यहां आने वाले छात्रों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले जनपद के सबसे बड़े शिक्षा केंद्र को लेकर शासन की मंशा ने बड़ी चिता पैदा की है। ओबरा पीजी कालेज में 80 फीसद की कमी

लगभग 3000 छात्रों वाले ओबरा पीजी कालेज में शिक्षकों की संख्या 60 से ज्यादा होनी चाहिए, लेकिन वर्तमान में मात्र दर्जन भर शिक्षक कार्यरत हैं। आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए सबसे मुफीद कालेज में शिक्षकों की कमी की वजह से कई विषयों की कक्षाए कई वर्षों से ठप हालत में है। नियमानुसार स्नातक में प्रति विषय 2-2 तथा स्नातकोत्तर में प्रति विषय 3-3 शिक्षक होने चाहिए, लेकिन वर्तमान में शिक्षकों की कमी का अंदाजा विज्ञान संकाय को देखकर लगाया जा सकता है। पिछले चार वर्षों से भौतिक विज्ञान के शिक्षकों के दोनों पद खाली पड़े हैं। जबकि वर्ष 2010 में ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) ने ओबरा पीजी कालेज को अपना केंद्र बनाया था। इसके अलावा जंतु विज्ञान के सभी चार पद और वनस्पति विज्ञान के तय दो पद पिछले तीन वर्ष से खाली हैं। जिसके कारण चिकित्सा क्षेत्र में जाने वाले छात्रों के लिए ओबरा पीजी कालेज की उपयोगिता पूरी तरह नगण्य हो गयी है। इसी तरह गणित के दो में एक पद, रसायन विज्ञान के तीन में दो पद खाली हैं। कला संकाय में भी जहां अंग्रेजी का कोई शिक्षक नहीं है वहीं राजनीति शास्त्र एवं हिदी के एक-एक पद खाली हैं।

नए प्रवक्ताओं की नियुक्ति से कालेज प्रशासन काफी आशान्वित है। कालेज को कितने प्रवक्ता मिलेंगे यह एक सप्ताह में पता चल सकेगा। शिक्षकों की कमी होने के कारण कक्षाएं चलाना मुश्किल हो गया है।

- डा. प्रमोद कुमार, प्राचार्य, ओबरा पीजी कालेज।

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