कोयला परिवहन के लिए डेडिकेटेड रोड कारीडोर बनाएगी एनसीएल
भारत सरकार की मिनी रत्न कंपनी एनसीएल ने कोयला परिवहन के लिए डेडिकेटेड रोड कारिडोर बनाए जाने का निर्णय लिया है। इस दिशा में कवायद भी शुरु कर दी गई है।
जागरण संवाददाता, अनपरा (सोनभद्र) : भारत सरकार की मिनी रत्न कंपनी एनसीएल ने कोयला परिवहन के लिए डेडिकेटेड रोड कारीडोर बनाए जाने का निर्णय लिया है। इस दिशा में कवायद भी शुरू कर दी गई है। जयंत कोयला खदान से मोरवा रेलवे साइडिग तक सिर्फ कोयले के परिवहन के लिए इस कारीडोर का इस्तेमाल होगा। तीन किलोमीटर से अधिक लंबे इस कारीडोर को बनाए जाने का प्रस्ताव जयंत परियोजना ने तैयार कर लिया है। इसके रास्ते में आ रही 7.448 हेक्टेयर वन भूमि की स्वीकृति के लिए वैधानिक प्रक्रिया तेज हो गई है। स्वीकृति मिलने तक निर्माण शुरू करने के लिए आवश्यक प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इस डेडिकेटेड कारीडोर से प्रतिदिन लगभग तीस हजार टन कोयले का परिवहन होगा। उक्त मार्ग से अलग आम जनजीवन के लिए यातायात मार्ग का निर्माण भी प्रस्तावित है। जिससे आम लोगों की आवाजाही के लिए सुरक्षित मार्ग उपलब्ध हो सके।
एनसीएल ने सड़क मार्ग से कोयला परिवहन खत्म किए जाने की दिशा में व्यापक रूप से कदम उठाया है। कंपनी ने निगाही, अमलोरी और झिगुरदा कोयला परियोजनाओं में वारफाल शुरू किए हैं, जिनसे कोयला परिवहन की आंतरिक रेल प्रणाली मेरी गो राउंड (एमजीआर) एवं भारतीय रेल से कोयला परिवहन में तेजी आई है। कंपनी की योजना है कि झिगुरदा के इस नए वारफाल से दुधीचुआ व जयंत परियोजनाओं का कोयला भी रेल मार्ग से परिवहन हो। इसके लिए दुधीचुआ और जयंत खदानों के अंदर से झिगुरदा तक कोयले का परिवहन किया जाएगा। खड़िया परियोजना में भी वारफाल शुरू किया जाएगा। ब्लाक-बी कोयला परियोजना में कोल हैंडलिग प्लांट तैयार है, इसके रेल मार्ग से जुड़ते ही रेलवे से कोयले की सप्लाई की जाएगी। जयंत परियोजना में 15 मिलियन टन और दुधीचुआ में 10 मिलियन टन क्षमता की नई सीएचपी लगाई जाएगी। जिससे बिजली घरों को सप्लाई रेल और एमजीआर के जरिये होगी। बीना परियोजना में 5.5 मिलियन टन एवं ब्लाक-बी में 4.5 मिलियन टन की नई सीएचपी भी प्रस्तावित है।