कमर्शियल माइनिग के विरोध में एनसीएल की खदानों में काम ठप

एनसीएल की कोल परियोजनाओं में गुरूवार से शुरू हुए तीन दिवसीय हड़ताल के मद्देनजर श्रमिक संगठन कोल श्रमिको के हूजुम के साथ सुबह में ही खदान क्षेत्र के प्रवेश द्वार पर झंडा-बैनर लेकर डट गये।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Jul 2020 09:57 PM (IST) Updated:Fri, 03 Jul 2020 06:10 AM (IST)
कमर्शियल माइनिग के विरोध में एनसीएल की खदानों में काम ठप
कमर्शियल माइनिग के विरोध में एनसीएल की खदानों में काम ठप

जागरण संवाददाता, अनपरा (सोनभद्र) : एनसीएल की कोल परियोजनाओं में गुरुवार से शुरू हुई तीन दिवसीय हड़ताल के मद्देनजर श्रमिक संगठन कोल श्रमिकों के हुजूम के साथ सुबह में ही खदान क्षेत्र के प्रवेश द्वार पर झंडा-बैनर लेकर डट गए। लगभग 80 प्रतिशत से अधिक कोल श्रमिक हड़ताल में शामिल रहे। इसमें शामिल एटक, इंटक, बीएमएस, सीटू, एचएमएस, सिस्टा, सिटिया, इनमोसा, एसटी एससी ओबीसी कांउसिल इम्पलाइज आदि श्रमिक संगठन के पदाधिकारी सभी परियोजनाओं का चक्रमण करते रहे। वे हर हाल में शून्य हाजिरी करने के लिए प्रयासरत रहे। कोल श्रमिक के हड़ताल पर रहने से खदान में भारी क्षमता की मशीनें जहां की तहां खड़ी रहीं। शिफ्ट बसें कॉलोनी व खदान में खाली ही घूमती रहीं। अधिकांशत: कार्यालयों का ताला नहीं खुला। प्रबंधन व पुलिस सभी जगहों पर मुस्तैद रहीं।

हड़ताली कर्मियों ने कहा कि जब तक सरकार कमर्शियल माइनिग के निर्णय को वापस नहीं लेती है, तब तक कोल श्रमिक सरकार के निर्णयों का विरोध जारी रखेंगे। सरकार कोल इंडिया के अस्तित्व को मिटाने पर आमदा है। समय की नजाकत को देखते हुए कोल प्रबंधन भी सुनियोजित ढंग से अपनी हर संभव तैयारियों में मशगूल रहा। हड़ताल स्थगित करने के लिए श्रमिक संगठनों से उच्च प्रबंधन ने की थी बात

एनसीएल के पीआरओ रामविजय सिंह ने कहा कि हड़ताल नहीं करने के लिए सभी फोरमों पर श्रमिक संगठनों से उच्च प्रबंधन द्वारा आग्रह किया गया था लेकिन बात नहीं बनी। हड़ताल के मद्देनजर सभी कोल परियोजनाओं में बुधवार की रात 10 बजे से कंट्रोल रूम स्थापित कर दिया गया है। इसकी मानीटरिग हेड क्वार्टर सिगरौली से की जा रही है। सोनभद्र व सिगरौली जिला प्रशासन के साथ सभी परियोजनाओं के अधिकारी प्रमुख स्थलों पर अनवरत मुस्तैद हैं। कोल मंत्री से भी हुई थी वार्ता ,अपनी मांगों पर अड़े रहे श्रमिक संगठन

कोल मंत्री से बुधवार को बीएमएस के डा. बसंत कुमार राय के नेतृत्व में संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों से वार्ता हुई थी। लेकिन इसका कोई सकारात्मक हल नहीं निकला। कमर्शियल माइनिग वापस करने की मांग पर श्रमिक संगठन अड़े हुए हैं। एटक के रामेंद्र कुमार ने कहा कि सरकार अपने निर्णय पर पुनर्विचार नहीं करती है तो कोल श्रमिकों के पास हड़ताल के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सुरक्षा को लेकर सभी कोल परियोजनाओं में पुलिस बल की गई है तैनात

पुलिस अधीक्षक ने ककरी, बीना, कृष्णशिला, खड़िया, दुधीचुआ कोल परियोजना में जारी तीन दिवसीय हड़ताल के मद्देनजर पीएसी व जनपद के विभिन्न थाना क्षेत्र के फोर्स को तैनात किया है। शक्तिनगर में प्रतिदिन तीन प्लाटून पीएसी विभिन्न परियोजना में तैनात रहेगी। जनपद के चार थानाध्यक्ष, 15 उपनिरीक्षक, दो महिला उप निरीक्षक, 40 पुरुष आरक्षी, 15 महिला आरक्षी, एक टीजी स्क्वाड कोल परियोजना मे हड़ताल तक तैनात रहेगी। हाजिरी घर में लगा रहा ताला

कोल परियोजनाओं में हाजिरी घर, कांटा, लोडिग, उत्खनन, ईएण्डएम आदि विभागों में ताला लगा रहा। हाजिरी घर में कार्मिक विभाग के अधिकारी ड्यूटी आने वाले श्रमिकों का हाजिरी लगाते रहे। तमाम कार्यालयों में सन्नाटा पसरा रहा। ओवी कंपनियां करती रहीं काम

सभी कोल परियोजना में ओवर वर्डेन हटाने के लिए लगी निजी कंपनियां सुनियोजित ढंग से काम करती रही। जब हड़ताली कर्मी पहुंच कर विरोध जताते थे, तो वे कुछ देर के लिए काम बंद कर देते थे। उनके जाने के बाद काम फिर शुरू कर देते थे। उन पर ज्यादा दबाव श्रमिक संगठन व प्रशासन इसलिए नहीं बना पा रहा था कि उनके परिचित व घर के सदस्य वहां नौकरी करते है। इस हड़ताल में निजी कंपनी के मजदूर शामिल नहीं थे। और न ही वे श्रमिक संगठन से कोई वास्ता रखे हुए थे। हड़ताल से प्रभावित हुई कोल परियोजना (मिलियन टन)

वार्षिक क्षमता की कोल परियोजना अमलोरी 14, बीना 9, दुधीचुआ 20, जयंत 20, झिगुरदह 2.68, ककरी 2.10, खड़िया 14, निगाही 20, कृष्णशिला 7, ब्लाक बी 5.47 मिलियट टन उत्पादन प्रभावित हुआ। इसके साथ ही पानी आपूर्ति की परियोजना आइडब्लूएसएस, केंद्रीय कर्मशाला जयंत, चिकित्सालय आदि जगहों पर हड़ताल का व्यापक असर रहा। संविदा श्रमिकों ने हड़ताल में नहीं ली रुचि

कोल परियोजनाओं में जारी तीन दिवसीय हड़ताल में संविदा श्रमिकों का कोई रुझान नहीं रहा। जहां भी उन्हें काम मिला वे काम करने में मशगूल रहे। सभी संविदा श्रमिक काम करने के पक्ष में नजर आए। लेकिन कुछ जगहों पर विरोध के चलते काम पर नहीं जा सकें। श्रमिक संगठन मजदूरों के लिए हाई पावर कमेटी के तहत इनके वेतन भुगतान की मांग को लेकर सदैव संघर्ष करते रहे हैं। फिर भी मजदूर इनके हड़ताल में शामिल होने के लिए रूचि नहीं दिखाई। सड़क मार्ग से कोल परिवहन रहा ठप

कोल परियोजनाओं से सड़क मार्ग से कोल परिवहन ठप रहा। प्रतिदिन एनसीएल के सभी कोल परियोजनाओं से हजारों ट्रेलर-ट्रक कोयला लेकर रेणुसागर, लैंको, डाला, रेणुकूट, वाराणसी चंदासी मंडी समेत रेलवे लोडिग प्वाइंट आदि जगहों पर जाते हैं लेकिन गुरुवार को हड़ताल की वजह से सभी वाहन खड़े रहे। कई प्रांतों में जाता है एनसीएल का कोयला

जासं, अनपरा (सोनभद्र) : एनसीएल द्वारा उत्पादित कोयले को मालगाड़ी द्वारा देश के कई प्रांतों के तापीय परियोजना समेत अन्य औद्योगिक संस्थानों को भेजा जाता है। इनमें एनटीपीसी के तापीय परियोजना शक्तिनगर, विध्याचल, रिहंद, सीपत, दादरी, माउंडा, सीमादरी, गोडरवारा शामिल हैं। इसी क्रम में अन्य परियोजना अनपरा, ओबरा, परीछा, अडानी पावर, ललितपुर, प्रयागराज, झाझर, श्रीसिघजी, रोजा पावर, बजाज एनर्जी, हिसार, पानीपत, अरावली, कोटा, सूरतगढ़, राजघाट नई दिल्ली, रेणुसागर, हिडाल्को, ग्रासिम इंडस्ट्रीज, जेपी एसोसिएट चुनार, अल्ट्राटेक डाला, मैहर सीमेंट, नाल्को, देवप्रिया पेपर एण्ड रोड, एसए आयरन, वेदांता लिमिटेड समेत अन्य जगहों पर कोयला भेजा जाता है। इन कंपनियों द्वारा ई-आक्शन के तहत अपनी आवश्यकता के अनुरूप कोयला लिया जाता हैं, जिसे ट्रेन के माध्यम से भेजा जाता है।

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