म्योरपुर एयरपोर्ट को मिला सिर्फ नाम, उड़ान अभी हवा में

सर्वाधिक आदिवासी जनसंख्या वाले जनपद सोनभद्र के लोगों ने वैसे तो जनपद सृजन के बाद ही हवाई सफर का ख्वाब देखा था। उनका ख्वाब नब्बे के दशक में एक बार पूरा भी हुआ लेकिन प्राइवेट कंपनी के माध्यम से संचालित की जा रही व्यवस्था फेल हुई तो यहां के लोगों की मंशा पर पानी फिर गया। अब क्या शुरू हो गई फिर से हवाई सफर शुरू करने की जद्दोजहद।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 21 Apr 2019 09:46 AM (IST) Updated:Sun, 21 Apr 2019 09:46 AM (IST)
म्योरपुर एयरपोर्ट को मिला सिर्फ नाम, उड़ान अभी हवा में
म्योरपुर एयरपोर्ट को मिला सिर्फ नाम, उड़ान अभी हवा में

जासं,सोनभद्र : बात आजादी के कुछ ही वर्ष के बाद की है। मीरजापुर जनपद का हिस्सा था उस समय सोनांचल का इलाका। यहां कोयला आधारित बिजली, जल आधारित बिजली की इकाइयां स्थापित की जा रही थीं। देश के प्रमुख उद्यमी घनश्याम दास बिड़ला की भी कंपनी हिडाल्को की आधारशिला रखी जा रही थी। तभी यहां जरूरत महसूस हुई एयरपोर्ट की। फिर क्या म्योरपुर कस्बे से कुछ दूरी पर 1954 में हवाई पट्टी की आधारशिला रखी गई। कुछ ही साल में यहां से चार्टर्ड प्लेन की उड़ान भी शुरू हो गई। उस समय जीडी बिड़ला अपनी कंपनी की देख-रेख करने के लिए प्लेन से आते थे। उनका विमान म्योरपुर हवाई पट्टी पर उतरता था और वहां से वह कार से रेणुकूट जाते थे। इसके बाद अन्य अधिकारी व राजनेता भी हवाई पट्टी का इस्तेमाल करने लगे। करीब 30 साल तक उसके विस्तार के लिए कोई नहीं सोचा। 1989 में जब सोनभद्र अलग जनपद बना तो कवायद शुरू हुई हवाई पट्टी के विस्तार की। फिर क्या इसे व्यवस्थित किया गया। और 1996 में म्योरपुर से उड़ान शुरू कर दी गई। उस समय दो विमान यहां से उड़ते थे। विक्टर थापा चार्ली और विक्टर थापा डेल्टा नाम के दो विमान सप्ताह में तीन दिन उड़ते थे। छह माह तक हवाई सफर ठीक-ठाक रहा, बाद में कंपनी घाटे में चली गई और उड़ान बंद हो गई। पुन: 2014 में उम्मीद जगी जब उड़ान सेवा शुरू हुई, लेकिन अब तक सिर्फ हवाई पट्टी से एयरपोर्ट नाम ही मिला है। अभी यहां से किसी शहर के लिए उड़ान शुरू नहीं हुई। यानि अभी भी यहां के लोगों का हवाई सफर ख्वाब ही है अगर यहां से उड़ान शुरू हो जाए तो यहां के लोग भी हवाई सफर कर सकते हैं। 35 सीट की बुकिग रही म्योरपुर से

1996 में जब म्योरपुर हवाई पट्टी से उड़ान शुरू की गई थी तो उस प्लेन में कुल 55 सीट होती थी। दिल्ली से चलने वाला विमान लखनऊ, वाराणसी के रास्ते म्योरपुर तक आता था। इसके बाद इसी रास्ते से वापस भी होता था। उस समय यह व्यवस्था की गई थी कि 35 सीट म्योरपुर से बुकिग होती थी। यहां बोर्डिंग भी बनाया गया था। सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा था इसी बीच कंपनी घाटे में चली गई और उड़ान बंद कर दी गई। 2018 में ही शुरू होनी थी उड़ान

म्योरपुर हवाई पट्टी को विस्तार करके इसे एयरपोर्ट बनाने और यहां से लखनऊ के लिए चालीस सीट वाले विमान की उड़ान भरवाना 2018 में ही लक्ष्य रखा गया था। लेकिन वर्ष 2019 के भी चार माह बीतने को हैं और उड़ान शुरू होने की अभी महीने भर में कोई उम्मीद भी नहीं नजर आती। अक्टूबर 2017 में उड़ान सेवा के तहत प्रदेश के 12 शहरों को हवाई सफर से जोड़ने की योजना बनी। उसमें सोनभद्र के म्योरपुर का भी नाम था। एयर कनेक्टिविटी को बना रहे आसान

म्योरपुर एयरपोर्ट से उड़ान आसानी से हो सके इसके लिए एयर कनेक्टिविटी को आसान बनाया जा रहा है। परिसर में रन-वे से साठ-साठ मीटर दोनों तरफ की दूरी पूरी कर ली गई है। इसके साथ ही आस-पास के इलाकों में जो बड़े पेड़ थे जिनकी वजह से जहाज के उड़ान भरने में दिक्कत होती उन्हें कटवाया जा रहा है। आस-पास के चार मोबाइल टावर भी हटाने की योजना बनी है। आते हैं बड़े-बड़े नेता, नहीं पड़ती नजर

म्योरपुर एयरपोर्ट जिस स्थान पर है वह काफी महत्वपूर्ण इलाका है। सोनभद्र जिला बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ से सटा है। इसलिए इन राज्यों में जिन भी नेताओं को यूपी से नजदीक वाले इलाके में आना-जाना होता है यहीं से होकर जाते हैं। यहां विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री के साथ ही अन्य कई नेता आ चुके हैं।

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64 एकड़ में है एयरपोर्ट का इलाका।

120 मीटर की कुल चौड़ाई है रन-वे के दोनों तरफ मिलाकर।

40 सीटर विमान के लखनऊ तक उड़ान की है तैयारी।

1920 मीटर की कुल लंबाई है रन-वे की।

25 मीटर चौड़ा है यहां का रन-वे।

1996 में कुछ माह के लिए शुरू हुई थी उड़ान।

1954 में हवाई पट्टी की रखी गई थी आधारशिला।

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