यहां पुस्तकों की भरमार, किताबों के भी हैं कद्रदान

जब इंटरनेट की वजह से लोग किताबों को भूल रहे हों, किताब पढ़ना हो या अखबार के पन्ने पलटने हों तो लोग स्मार्टफोन में ही सबकुछ करते हैं। ऐसे समय में अगर कहीं के युवा लाइब्रेरी से पुस्तक लेकर उसे पढ़ें और फिर वापस कर दें। यह सिलसिला एक दो दिन नहीं बल्कि सालों तक चले तो सुखद आश्चर्य होना तो स्वाभाविक है। एक तरह से अच्छे माहौल के संकेत भी हैं। क्योंकि किताबों को ज्ञान का भंडार कहा जाता है। कहते हैं जो किताबों से दोस्ती करता है वह ज्ञानी होता है। वह हर क्षेत्र में सफल होता है। नए-नए तौर तरीके सीखता है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Nov 2018 09:44 PM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 09:44 PM (IST)
यहां पुस्तकों की भरमार, किताबों के भी हैं कद्रदान
यहां पुस्तकों की भरमार, किताबों के भी हैं कद्रदान

जागरण संवाददाता,महुली (सोनभद्र) : जब इंटरनेट की वजह से लोग किताबों को भूल रहे हों, किताब पढ़ना हो या अखबार के पन्ने पलटने हों तो लोग स्मार्टफोन में ही सबकुछ करते हैं। ऐसे समय में अगर कहीं के युवा लाइब्रेरी से पुस्तक लेकर उसे पढ़ें और फिर वापस कर दे। यह सिलसिला एक-दो दिन नहीं बल्कि सालों तक चले तो इसका सुखद आश्चर्य होना स्वाभाविक है। एक तरह से यह अच्छे माहौल का संकेत भी हैं क्योंकि किताबों को ज्ञान का भंडार कहा जाता है। कहते हैं जो किताबों से दोस्ती करता है वह ज्ञानी होता है। वह हर क्षेत्र में सफल होता है। नए-नए तौर तरीके सीखता है।

हम बात कर रहे हैं जिले के महुली क्षेत्र में स्थित एमएस स्मारक सार्वजनिक पुस्तकालय की। एक दशक पहले स्थापित इस पुस्तकालय में करीब चार हजार की संख्या में किताबें हैं। देख-रेख के लिए लाइब्रेरियन भी हैं। डायरेक्टर मकसूद आलम की तरफ से रखा गया लाइब्रेरियन प्रतिदिन समय से पुस्तकालय खोलता है और बंद भी करता है। यहां प्रतिदिन औसतन 20 से 30 लोग किताब पढ़ने के लिए आते हैं। ज्यादा क्षेत्र के गरीब बच्चे होते हैं। लाइब्रेरियन जेएन यादव बताते हैं कि पहले की तरह ही यहां अब भी लोग पढ़ने के लिए आते हैं। इन विषयों की किताबें हैं लाइब्रेरी में

महुली की लाइब्रेरी में कहानी, उपन्यास से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए भी किताबें रखी गई हैं। सामान्य ज्ञान, बाल विकास, पर्यावरण, मनोविज्ञान, लोक प्रशासन, भाषा विज्ञान, सामाजिक शोध, साहित्य दर्पण, उपन्यास आदि की हजारों पुस्तकें हैं। यहां जिस तरह से सजाकर किताबों को रखा गया है उसी तरह से यहां आने वाले किताबों के कद्रदान भी इन किताबों से ज्ञान लेते हैं।

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