दुद्धी ब्लाक की जीओ मैपिग पूरी, ओबरा की रह गई अधूरी

सबहेड . दुद्धी के दो व ओबरा के एक ब्लाक के खदानों का होनी है मैपिग - रेणुकूट वन प्रभाग एक सप्ताह के अंदर वनभूमि को कर लेगा चिन्हित - ओबरा वन प्रभाग राजस्व विभाग के रिपोर्ट का कर रहा इंतजार

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 06:55 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 06:55 PM (IST)
दुद्धी ब्लाक की जीओ मैपिग पूरी, ओबरा की रह गई अधूरी
दुद्धी ब्लाक की जीओ मैपिग पूरी, ओबरा की रह गई अधूरी

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : स्वर्ण भंडार व एंडालुसाइट खदान की सीमांकन प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है। अब वन विभाग की रिपोर्ट का इंतजार है। वन विभाग की रिपोर्ट लगते ही खदानों को नीलामी प्रक्रिया में लाया जाएगा। दुद्धी तहसील में पड़ने वाले ब्लाक का जीओ मैपिग का कार्य पूरा कर लिया गया है, वहीं अभी ओबरा तहसील क्षेत्र के खदान के मैपिग का कार्य नहीं हुआ है। इसे जल्द ही पूरा किया जाएगा। खदान क्षेत्र के अंदर कितनी भूमि किसकी है, इसको लेकर अभी रिपोर्ट फाइनल नहीं हुई है। यह रिपोर्ट फाइनल होते ही शासन को प्रेषित कर दी जाएगी। सोनांचल की कोख में पड़ा स्वर्ण भंडार को बाहर निकालने के लिए शासन ने तेजी दिखानी शुरू कर दी है। खनन मंत्रालय के निर्देश के बाद दुद्धी के बाद ओबरा वन प्रभाग संबंधित ब्लाक में कितनी वन भूमि जाएगी, इसकी रिपोर्ट तैयार करने के लिए राजस्व विभाग की हरी झंडी का इंतजार कर रहा है। राजस्व कर्मचारियों द्वारा जीओ मैपिग का कार्य पूरा करते ही वन विभाग अपने भूमि का मूल्यांकन कार्य शुरू कर देगा। कार्रवाई पूरी होते ही इसकी रिपोर्ट खनिकर्म विभाग को भेजा जाएगा। वहीं विभागीय सूत्रों के अनुसार एक बार फिर से जीएसआइ की टीम जनपद में डेरा डाल सकती है। सरकार पहले खनन क्षेत्र में पड़ने वाले भूमि की स्थिति साफ करना चाहती है। ओबरा तहसील में कार्य कब संपन्न होगा, इस बाबत एसडीएम से संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने बिना कोई जवाब दिए फोन काट दिया। प्रतिक्रिया ..

शासन के निर्देश के क्रम में रेणुकूट वन प्रभाग क्षेत्र में आने वाले खदान क्षेत्र में वनभूमि को चिन्हित करने का कार्य किया जाएगा। एक सप्ताह के अंदर इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा।

मनमोहन मिश्रा, डीएफओ रेणुकूट। - अभी तक इसको लेकर राजस्व व खनन विभाग से कोई जानकारी नहीं मिली है। जिलाधिकारी का पत्र आया है, जैसे ही खदान क्षेत्र का जीओ मैपिग हो जाएगा, वन भूमि कितनी है इसकी रिपोर्ट बनाकर प्रेषित कर दी जाएगी। प्रखर मिश्रा, डीएफओ ओबरा।

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