अपशिष्टों के डिस्पोजल को नहीं बना डीप बरियल पिट

जागरण संवाददाता सोनभद्र सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से निकलने वाले अपशिष्टों के डिस्पोजल के लिए डीप बरियल पिट का निर्माण कराया जाना था। जिले में प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्रों में यह बनना था। इसका निर्माण कार्य दिसंबर 2019 तक पूर्ण भी कराना था लेकिन कार्य पूरा नहीं हो सका।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 03 Aug 2020 06:15 PM (IST) Updated:Tue, 04 Aug 2020 06:06 AM (IST)
अपशिष्टों के डिस्पोजल को नहीं बना डीप बरियल पिट
अपशिष्टों के डिस्पोजल को नहीं बना डीप बरियल पिट

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जागरण संवाददाता, सोनभद्र : सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से निकलने वाले अपशिष्टों के डिस्पोजल के लिए डीप बरियल पिट का निर्माण कराया जाना था। जिले में प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्रों में यह बनना था। इसका निर्माण कार्य दिसंबर 2019 तक पूर्ण भी कराना था लेकिन कार्य पूरा नहीं हो सका।  

मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया गया है कि जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के अनुसार जनपद के समस्त सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से निकलने वाले अपशिष्टों जैसे निडिल, सिरिज, रूई समेत अन्य बेस्ट जो इधर-उधर फेंक दिए जाते हैं, उनको एक स्थान पर रखने के लिए डीप बरियल का निर्माण कराया जाना है। जिले में छह सीएचसी, दो पीएचसी, 37 नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और एक संयुक्त चिकित्सालय कुल 48 स्थानों पर यह निर्माण कराया जाना हैं। हालत यह है कि कहीं गड्ढा खोदा भी गया है तो जाली लगाकर महज कोरम पूरा कर लिया गया है। किसी का भी कार्य पूरा नहीं हो सका है। सीएचसी बभनी, अतिरिक्त पीएचसी सतवहिनी में गड्ढा बना छोड़ दिया गया है। कोन, सलैयाडीह, अमवार में तो निर्माण कार्य ही नहीं शुरू हुआ है। एक डीप बरियल पिट के निर्माण में 26 हजार 817 रुपये खर्च होंगे। स्वास्थ्य विभाग को डीप बरियल पिट के निर्माण के लिए धनराशि भी आवंटित हो गई है। 12 लाख 87 हजार रुपए की लागत से 48 का निर्माण कार्य कराया जाना है। लॉकडाउन से हुई देरी, चल रहा कार्य

वैश्विक महामारी कोरोना के चलते कार्य को पूरा करने में कुछ देरी हुई है। हालांकि उसे दिसंबर 2019 में ही पूरा करना था लेकिन कहीं भूमि विवाद तो कहीं श्रमिकों के न मिलने से देरी हुई है। इस कार्य को जल्द पूरा कर लिया जाएगा।

- डा. एसके उपाध्याय, मुख्य चिकित्साधिकारी।

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