भिलाई बंधी में दरार, टूटने का बढ़ा खतरा
राबर्ट्सगंज नगर के लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने में अहम योगदान देने वाली भिलाई बंधी पर संकट है। यहां के भीटे में एक स्थल पर दरार पड़ गई है। करीब 12 से 15 फीट तक भीटे की मिट्टी धसक गई है। इसको लेकर ग्रामीणों को चिता है कि कहीं बंधी पानी के दबाव से टूट न जाए। अगर ऐसा हुआ तो 17 साल पहले हुई तबाही से भी ज्यादा भयावह मंजर हो सकता है। आशंकित ग्रामीणों ने जिला प्रशासन व नगर पालिका प्रशासन से बंधी के मरम्मत की मांग किया है।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : राबर्ट्सगंज नगर के सैकड़ों घरों में शुद्ध पेयजल का स्त्रोत भिलाई बंधी पर संकट है। यहां के भीटे में दरार पड़ गई है। करीब 12 से 15 फीट तक भीटे की मिट्टी धसक गई है। इसको लेकर ग्रामीणों को चिता है कि कहीं बंधी पानी के दबाव से टूट न जाए अगर ऐसा हुआ तो 17 साल पहले हुई तबाही से भी ज्यादा भयावह मंजर अब हो सकता है। आशंकित ग्रामीणों ने जिला प्रशासन व नगर पालिका प्रशासन से बंधी के मरम्मत की मांग की है।
राबर्ट्सगंज ब्लाक के लोढ़ी ग्राम पंचायत में स्थित भिलाई बंधी से नगर पालिका राबर्ट्सगंज के 25 वार्डों सहित जिला मुख्यालय पर पानी की आपूर्ति के लिए इंतजाम किया गया है। यहां पानी शुद्धीकरण संयंत्र लगाकर आपूर्ति की जाती है। हर वर्ष इस बंधी के रख-रखाव पर लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं बावजूद इसके इन दिनों देख-रेख के अभाव में कई स्थलों पर रेन कटिग (बारिश के दौरान मिट्टी बहने से होने वाली कटान) हो गई है। इसी बंधी के भीटे में एक स्थल तो ऐसा भी जहां पर किनारे से करीब आठ-दस फीट तक की मिट्टी करीब दो फीट की चौड़ाई में बह गई है। इससे दरार की आ गई है।
ग्रामीणों की मानें तो जब पानी का दबाव बढ़ता है तो पानी रिसता भी है अगर समय रहते इसकी मरम्मत नहीं कराई गई तो बंधी टूट जाएगी और आस-पास की बस्तियों में तबाही मच सकती है। यहां के ग्राम प्रधान शमशेर बहादुर सिंह ने बताया कि इस मामले को नगर पालिका व तहसील प्रशासन को भी अवगत कराया जा चुका है। 2003 में टूटी थी बंधी तो मची थी तबाही,कई घर हो गए थे जमींनदोज
ग्रामीणों की मानें तो जिस स्थल पर बंधी में दरार है उसी स्थल से करीब 20 मीटर आगे छह सितंबर 2003 को बंधी टूटी थी। इससे पास की गोड़ान बस्ती से होते हुए पानी राबर्ट्सगंज नगर के समीप तक आ गया था। इससे कइयों के घर तक पानी से जमींदोज हो गए थे। दो साल पहले खर्च हुए थे 16 लाख रुपये
भिलाई बंधी की रेन कटिग को रोकने के लिए यहां करीब दो साल पहले 16 लाख रुपये की धनराशि खर्च करके काम कराया गया था। इस संबंध का बोर्ड भी पास में ही लगा है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर वह काम कैसे कराया गया कि दो साल में ही इस तरह के भय की स्थित बन गई है। अगर उस कार्य की सही तरीके से जांच हो जाए कार्य की स्थिति, गुणवत्ता आदि की पोल खुल सकती है।
बारिश के पानी से धीरे-धीरे करके इस तरह की कटान हुई है। पानी का दबाव बढ़ेगा तो बंधी टूटने का खतरा है। इसकी शीघ्र मरम्मत होनी चाहिए।
- महेश शर्मा, सदस्य-वार्ड-13 वर्ष 2003 में जब बंधी टूटी थी तो कई लोगों के घर जो मिट्टी के थे वे जमीदोंज हो गए थे। इस कटिग से फिर वहीं स्थिति बन रही है। मरम्मत होनी चाहिए।
- राजकुमार गोंड़, सदस्य-वार्ड 12 जिस तरह से मिट्टी की कटान जारी है और इसपर ध्यान नहीं दिया जा रहा है इससे तो गंभीर स्थिति हो सकती है। मरम्मत कराए जाने की जरूरत है।
- राज कुमार पटेल, लोढ़ी जिस स्थान पर कटिग हुई है उसी स्थल से कुछ दूरी पर 2003 में बंधी टूटी थी। एक बार फिर से खतरा मंडराने लगा है।
- ओमकार पटेल, लोढ़ी बोले चेयरमैन--
रेन कटिग से अगर इस तरह की दरार पड़ गई तो इसे तत्काल दिखवाया जाएगा। उसकी मरम्मत तत्काल करायी जाएगी।
- वीरेंद्र जायसवाल, चेयरमैन-नगर पालिका-राबर्ट्सगंज