छात्रसंघ पदाधिकारियों के लिए अवसरों का पिटारा
ओबरा पीजी कालेज के जल्द चुने जाने वाले नये छात्रसंघ पदाधिकारियों के लिए आने वाला समय बड़ा अवसर बन सकता है।शिक्षा केन्द्रों से डाक्टरइंजीनियरचार्टेट एकाउंटेंटवैज्ञानिक जैसे कैरियर के साथ राजनीति में कैरियर की भी बड़ी सम्भावना रहती है। पिछले तीन दशकों से जनपद की राजनीति के लिए
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : ओबरा पीजी कालेज के जल्द चुने जाने वाले नये छात्रसंघ पदाधिकारियों के लिए आने वाला समय बड़ा अवसर बन सकता है। शिक्षा केन्द्रों से डाक्टर, इंजीनियर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, वैज्ञानिक बनने के साथ राजनीति में भी करियर की बड़ी सम्भावना रहती है। पिछले तीन दशकों से जनपद की राजनीति के लिए नर्सरी बने ओबरा पीजी कालेज में भी ऐसी संभावना लगातार रही है। जनपद के सबसे बड़े उच्च शिक्षा केंद्र की छात्र राजनीति से निकले छात्र नेताओं ने लगातार जनपद की मुख्यधारा की राजनीति को दिशा दी है। ओबरा पीजी कालेज की तो नींव ही छात्र राजनीति की वजह से है। आज कालेज का भव्य परिसर छात्र आंदोलनों की ही बदौलत हुआ है। ऐसे में अब नई पौध के लिए बड़ी संभावना के साथ बड़ी जिम्मेदारी का भी समय है। जनपद को दे चुका है बड़े जनप्रतिनिधि
ओबरा पीजी कालेज की भूमि छात्र राजनीति के लिए काफी उर्वरा साबित होती रही है। लोकतंत्र की प्रथम नर्सरी से निकले कई पौध आज बड़े वृक्ष में तब्दील हो चुके हैं। ओबरा पीजी कालेज के तत्कालीन छात्र कल्याण परिषद के प्रथम महासचिव रोशन लाल यादव आज जनपद के बड़े अधिवक्ता होने के साथ राजनीति के बड़े खिलाड़ी हैं। उनके द्वारा अलग सोनांचल राज्य की मुहिम ने सरकारों के लिए सिरदर्द पैदा कर दिया था। उनके बाद महासचिव बने नरेंद्र कुशवाहा बाद में मीरजापुर के सांसद बने। यह कालेज सहित कालेज की छात्र राजनीति के लिए बड़ा गौरव का विषय रहा। श्री कुशवाहा ने छात्र राजनीति के दौरान कालेज के विकास के लिए कई बड़े मुहिम छेड़े थे। वर्तमान में राबर्ट्सगंज सदर के विधायक भूपेश चौबे भी ओबरा पीजी कालेज के चमकते सितारे हैं। 90 के दशक में छात्रों के कई बड़े आंदोलनों का नेतृत्व कर श्री चौबे ने भविष्य की झलक दिखा दी थी। खासकर छात्र विवेक पाण्डेय हत्याकांड के दौरान उनके नेतृत्व में हुए छात्र आन्दोलन से शासन प्रशासन में खलबली मच गई थी। वर्ष 2003 में छात्रसंघ की स्थापना के लिए छात्र नेता विजय शंकर यादव का आन्दोलन जनपद के सबसे बड़े छात्र आंदोलनों में शुमार किया जाता है। उनके आन्दोलन से शासन को ओबरा पीजी कालेज में छात्रसंघ की स्थापना करनी पड़ी थी। बाद में छात्रहित में विजय शंकर ने आत्मदाह का भी प्रयास किया था। इसे राष्ट्रीय स्तर में सुर्खियां मिली थी। ओबरा छात्रसंघ के पहले अध्यक्ष रहे अनिल यादव बाद में जिला पंचायत अध्यक्ष बनकर कालेज का नाम रोशन किया। ओबरा पीजी कालेज की छात्र राजनीति के दर्जनों ऐसे चेहरे हैं जिन्होंने कई प्रमुख राजनीतिक दलों के जिलाध्यक्ष सहित प्रमुख पदों की शोभा बढ़ाई है।