कुंवरपुर में महिलाएं संगठित, विकसित कर रहीं रोजगार

नाबार्ड से जुड़कर गाय के गोबर से बना रहीं मूर्तियां गरीबी को दे रही हैं मात।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 11:14 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 11:14 PM (IST)
कुंवरपुर में महिलाएं संगठित, विकसित कर रहीं रोजगार
कुंवरपुर में महिलाएं संगठित, विकसित कर रहीं रोजगार

निर्मल पांडेय, सीतापुर

सिधौली के कुंवरपुर में महिलाओं ने आत्मनिर्भर बनने की ठानी है, जो कि धूपबत्ती से लेकर गाय के गोबर से मूर्तियां व दीपक तैयार कर रहीं हैं। नीलम रावत तो प्रधान भी बन गईं हैं। वह कहती हैं कि गांव की हर महिला के हाथ में काम हो, इसके लिए नाबार्ड से महिलाओं को रोजगारपरक प्रशिक्षण दिलाया है। इन महिलाओं ने अपने उत्पादों का बुधवार को इंडियन बैंक कार्यालय परिसर में आयोजित वृहद ग्राहक संव‌र्द्धन अभियान कार्यक्रम में स्टाल लगाकर प्रदर्शन भी किया।

महिलाओं ने बताया कि उन लोगों को नाबार्ड ने आत्मनिर्भर बनना सिखाया है। खुद के बनाए उत्पाद की ब्रांडिग कैसे करें, सामग्री कहां से लें, यह सब उन्हें मालूम हो गया है। सोनापति धूपबत्ती बनाकर हर महीने पांच-छह हजार रुपये की कमा लेती हैं। अब उनका कानपुर में व्यापारियों से अनुबंध भी हो गया है। नीलम रावत बताती हैं कि उनके समूह से पुष्पा, कमला, राजपति, कंचन, लाल कुमारी, श्रीमती, शांति देवी, निशा व उर्मिला जुड़ी हैं। पुष्पा ने किराना स्टोर खोला है। अन्य महिलाएं धूपबत्ती बना रहीं हैं। इस तरह कुंवरपुर में पांच समूहों में महिलाएं काम कर रही हैं।

परफ्यूम से महकती धूपबत्ती :

धूपबत्ती बनाने के लिए वे लोग कच्चा माल लखनऊ व कानपुर से मंगाती हैं। फिर उस पर चार तरह के कलर व परफ्यूम चढ़ाती हैं। इनमें चंदन, मोगरा, गुलाब व चंपा शामिल हैं। फिर पैकिग कर उन्हें बेचती हैं।

गोबर के गणेश-लक्ष्मी, कुबेर :

सोनापति ने बताया कि लखनऊ के बाजार में गाय के गोबर से बने आइटमों की बहुत मांग है। गोबर से दीपक, गणेश-लक्ष्मी, कुबेर, कछुआ व उल्लू आदि खूबसूरत आइटम बनाती हैं। उन्हें रंगकर आकर्षक बनातीं हैं। लखनऊ के कई व्यापारी उनका माल उठाते हैं।

दीपावली मेले में लगा रहीं स्टाल :

नीलम, अनीता सिंह, रंजना, सोनापति ने बताया कि सात दिवसीय दीपावली मेला गुरुवार से शहर में जीआइसी मैदान पर लग रहा है। इसमें वह भी अपने उत्पादों का स्टाल लगा रही हैं।

इनसे मिलिए, आप भी कुछ करिए :

नीलम रावत ने बताया कि प्रधान बनने के बाद हम महिलाओं को किसी न किसी तरह के रोजगार से जोड़ रहे हैं। हम खुद आर्डर पर कपड़ों की सिलाई करते हैं। धूपबत्ती भी बनाती हूं। हम कहते हैं गरीबी का रोना मत रोओ, कुछ करो। नहीं समझ आता तो हम बताते हैं कि क्या करना है। खैर, गांव की महिलाएं हमारी सुनती हैं।

सोनापति ने बताया कि संगठित होकर कार्य करने में जो सफलता है, वह अकेले के कारोबार में नहीं है। हमारे साथ 12 महिलाएं हैं, सभी मिलकर धूपबत्ती बनाते हैं। देशी गाय के गोबर के खूबसूरत उत्पाद बनाते हैं। अच्छी कमाई होती है। धीरे-धीरे हमारे काम का दायरा बढ़ता जा रहा है। मेले में स्टाल लगा रहे हैं।

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