हवा व बारिश से केला, गन्ना और धान को नुकसान
कई दिनों से चल रही तेज हवाओं का फसलों पर टूटा कहर नुकसान देखकर निराश हुए अन्नदाता
सीतापुर: कई दिनों से चल रहीं तेज हवाएं और बारिश ने फसलों पर कहर बरपाया है। धान, गन्ना, तिल की फसल धराशाई हो चुकी हैं। केला व पपीता की फसलों को भी व्यापक नुकसान पहुंचा है। फसलों पर मौसम का कहर देखकर किसान आहत हैं। तेज हवाओं ने सबसे अधिक नुकसान किया है। औरंगाबाद : दो दिन से लगातार बारिश से गन्ना, धान, केला व पपीता की फसल को व्यापक क्षति पहुंची है। बारिश से जमीन गीली हुई और तेज हवा ने फसलों को गिरा दिया। क्षेत्र में कुछ किसान केला व पपीता की खेती करते हैं, उनको बहुत नुकसान हुआ है। रामकोट : बुधवार की रात से लगातार बारिश व तेज हवाओं ने गन्ना, धान, तिल आदि की फसलों को चौपट कर दिया है। गन्ने की बवारी व पेड़ी, दोनों फसलें धराशाई हो गई हैं। सुबह फसलों को देखने खेत गए किसानों की आह निकल गई। पिसावां : यहां बारिश व हवा से गन्ना, धान, तिल की फसल गिर गई है। मूंगफली में पानी भर गया है। किसानों ने बताया कि गन्ना व धान दोनों को काफी नुकसान होगा। सरैंया : बारिश व हवाओं ने केला, धान व गन्ने की फसल को अधिक नुकसान पहुंचाया है। फसलों का हाल देखकर किसानों का कलेजा मुंह को आ गया। सिकंद्राबाद के किसान पप्पू ने बताया कि हवा व बारिश ने कमर तोड़ दी है। भदफर : तेज हवाओं ने गन्ने को पूरी तरह धराशाई कर दिया। किसान महेश ने बताया कि मौसम का कहर फसलों पर टूटा है। इससे किसान बरबाद हो जाएगा। हरगांव : कई दिन से चल रही तेज हवा व बारिश ने फसलों का नुकसान किया है। गन्ना व धान की फसल गिर गई है। धान की फसल गिरने से बहुत नुकसान होगा। गिर चुके गन्ने में भी रोग लगने की संभावना बढ़ जाएगी। गोंदलामऊ : बुधवार की रात से हवा के साथ बारिश लगातार जारी है। बारिश ने गन्ना, धान, केला की फसल को नुकसान पहुंचाया है। धान में बालियां निकल रहीं थी, फसल गिरने से दाना कमजोर व हलका हो जाएगा। मौसम ने फसलों को व्यापक क्षति पहुंचाई है।
खेत से जल निकासी कर फसल बांधें:
कृषि विज्ञान केंद्र अंबरपुर के अध्यक्ष व वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. वीके सिंह ने बताया हवा व बारिश ने फसलों का बहुत नुकसान किया है। किसान धान की फसल में पानी निकालें, यही एक मात्र विकल्प है। हवा रुकने पर केला, पपीता की फसल की जड़ों पर मिट्टी चढ़ाकर रस्सी से एक दूसरे से बांधे। सहारे के लिए बल्ली भी लगाएं। यही उपाय गन्ने में भी करें। फसल कटाई का काफी समय है। ऐसे में जड़ पर मिट्टी चढ़ाएं और बंधाई करा दें। इससे नुकसान नहीं होगा।
फसलों का नुकसान, एसडीएम-तहसीलदार को क्षति सर्वे का आदेश
सीतापुर: तेज हवा के बीच हुई बारिश से केला, पपीता, गन्ना, धान आदि फसलों को बड़े स्तर पर नुकसान हुआ है। फसलें खेतों में गिर गई हैं। इस नुकसान के आकलन का काम भी विभागीय अधिकारियों ने शुरू नहीं कराया है।
एडीएम न्यायिक हरिशंकर लाल ने बताया, डीएम की तरफ से एसडीएम-तहसीलदार को निर्देश हुए हैं कि जहां फसल क्षति हुई है उसका आकलन कर रिपोर्ट दें। उम्मीद है कि अगले दो-तीन दिन में क्षति आकलन रिपोर्ट मिल जाएगी। जिन क्षेत्रों में 33 प्रतिशत या इससे अधिक फसल नुकसान है वहां दैवीय आपदा में किसानों को आर्थिक सहायता दी जाएगी।
600 हेक्टेयर में केला, तेज हवा से खेत में गिरा:
जिला उद्यान अधिकारी सौरभ श्रीवास्तव ने बताया, जिले में बेहटा और लहरपुर क्षेत्र के किसान केला की खेती बड़े स्तर पर करते हैं। पिछले साल 600 हेक्टेयर में केला की फसल थी। इस बार यह पेड़ी है। चालू वर्ष में 300 हेक्टेयर में केले की खेती कराई गई है। जुलाई-अगस्त में केले की पौध की रोपाई भी हो गई है। उन्होंने बताया, तेज हवा के बीच बारिश के कारण केले की पेड़ी वाली फसल को नुकसान हुआ है। यह नुकसान करीब 10-15 प्रतिशत है। इसी तरह करीब 15 हेक्टेयर में किसानों ने पपीता की खेती की है। पपीता के पेड़ भी खेत में गिर गए हैं।उद्यान निरीक्षक को मौके पर भेजकर नुकसान का आकलन करा रहे हैं।
गन्ना भी गिरा, बढ़वार के साथ शुगर की रिकवरी प्रभावित:
जिला गन्ना अधिकारी संजय सिसोदिया ने बताया, तेज हवा बारिश में जो गन्ना गिर गया है उसके उत्पादन में पांच से सात प्रतिशत तक गिरावट आ सकती है। इधर और 10-15 दिन गन्ने की बढ़वार का समय था। अब गन्ने में शुगर की रिकवरी भी बढ़नी शुरू हो गई है। गन्ने के गिर जाने से उसमें शुगर की कितनी मात्रा प्रभावित होगी, यह बताना मुश्किल है। चूंकि गन्ना फसल बीमा योजना में कवर्ड नहीं है। इसलिए नुकसान के सर्वे का मतलब ही नहीं है। जिले में गन्ना फसल का कुल रकबा 2.02 लाख हेक्टेयर है। इसमें 3.40 लाख किसान खेती कर रहे हैं। जिन किसानों ने पहले से खेत में गन्ने को बंधवा लिया था, उनकी भी फसलें गिर गई हैं।
-अरली गन्ना और खरीफ की अगैती फसलों को तेज हवा से नुकसान हुआ है। यदि किसान खेत में गिरी फसलों को बांधकर खड़ा कर लेते हैं तो नुकसान होने की गुंजाइश नहीं रहेगी।
-सत्येंद्र प्रताप सिंह, जिला कृषि अधिकारी