'बूढ़े हैं तो क्या, कोरोना से बचाव करते हैं और टहलते हैं'

गज्जू बोले-सावां कोदौं खाते थे हड्डी मजबूत है चश्मा नहीं लगाते सब साफ दिखता है

By JagranEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 10:46 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 10:46 PM (IST)
'बूढ़े हैं तो क्या, कोरोना से बचाव करते हैं और टहलते हैं'
'बूढ़े हैं तो क्या, कोरोना से बचाव करते हैं और टहलते हैं'

सीतापुर: दोपहर के 12 बज रहे हैं। इमलिया गांव में बुजुर्ग गज्जू मुहम्मद सलीम से गुफ्तगू करते हुए खड़ंजा पर दक्षिण मुहल्ले की ओर आ रहे थे। गज्जू के सिर पर कैप और हाथ में डंडा था। पूछने पर गज्जू ने कहा, उनकी आयु 80 वर्ष की हो गई है, पर चश्मा नहीं लगा है। कहा, उनकी मजबूत हड्डी है। सावां, कोदौं, ज्वार, मक्का, लोबिया खाते थे। दूध पीते थे, घी खाते थे। गज्जू ने कहा, अब सब यूरिया वाला अनाज और अंग्रेजी दवा खाते हैं। इसलिए इनकी इम्युनिटी कहां मजबूत होगी। गज्जू बोले, सुबह छह बजे जगते हैं। शाम सात-आठ बजे सो जाते हैं। दिन भर गांव में पैदल चलते ही रहते हैं।

वहीं, घर के बाहर पेड़ की छांव में बुजुर्ग रंजीत सिंह व असगर अली बैठे बाते कर रहे थे। ये दोनों मास्क लगाए थे। रंजीत बोले, वह तो कभी-कभी भूलकर रात में भी मास्क लगाए सो जाते हैं। कहा, बाहर का कुछ खाते नहीं है। कोरोना है, इसलिए सेफ्टी बहुत रखते हैं। गनीमत है, इनके गांव में अभी तक कोरोना से किसी की मौत नहीं हुई है। वैसे पिछले महीने से अब तक करीब दर्जन भर लोग मर चुके हैं। गांव से सौ-डेढ़ सौ लोगों का लगभग हर रोज शहर में आना-जाना रहता है।

देखिए, हम गांव के हैं..

बुजुर्ग असगर अली बोले, देखिए हम गांव के हैं। इतना जरूर सुनते हैं कि कोरोना जैसी बीमारी का शुद्ध उपचार है उससे बचे रहना। जब लोग बचे रहने की सलाह दे रहे हैं तो हम क्यों न बचे। बचाव में कंजूसी क्यों करें, बाकी मरने-मराने की रही बात तो अल्लाह जाने, मौत तो एक दिन आनी ही है उसको बहाना चाहिए।

असगर अली ने कहा, अभी तो वह ठीक-ठाक हैं। घर से कम निकलते हैं बहुत ज्यादा अपने दोस्त रंजीत सिंह के दरवाजे तक आ जाते हैं। असगर अली ने कहा, कोरोना चल रहा है घर से न निकलना ही बेहतर है। जरूरी है तो मास्क लगाकर निकलना उचित है।

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