खेतों में अमृत की बारिश, किसानों के चेहरे खिले
गन्ना उरद मक्का की फसल को लाभ। धान फसल की नर्सरी बाई जाने लगी। सिचाई का रुपया बच गया। यूरिया छिड़काव के लिए रुक-रुककर होने वाली धीमी बारिश सबसे मुफीद।
सीतापुर : गुरुवार रात से हो रही धीमी-धीमी बारिश ने किसानों के चेहरों पर रौनक ला दी है। इस बारिश से जहां किसानों की सिचाई के खर्च से राहत मिल गई, वहीं यह पानी फसलों के लिए अमृत की तरह साबित हो रहा है। लहलहाती फसलें देखकर किसान मुदित हैं। इस बारिश से सबसे अधिक गन्ना, उरद, मक्का, मेंथा की फसल को लाभ मिला है। अधिक बारिश से लौकी, तरोई, कद्दू खीरा आदि को नुकसान हो सकता है। अगर वहां जलभराव होता है तो, हलकी बारिश से नुकसान की गुंजाइश कम है। किसानों ने गन्ने में यूरिया का छिड़काव भी शुरू कर दिया है। यूरिया छिड़काव के लिए रुक-रुककर होने वाली धीमी बारिश सबसे मुफीद मानी जाती है। वहीं बारिश की राह देख रहे किसानों ने धान फसल की तैयारी शुरू कर दी है। धान की नर्सरी लगाने का काम शुरू हो गया है। धान की रोपाई करने वाले किसानों ने खेतों का पलेवा भी शुरू कर दिया है। इधर तेज धूप से फसलें सूख रहीं थी। जिससे किसानों ने सिचाई शुरू की थी। बिजली कटौती के चलते सिचाई में बाधा आ रही थी। बुधवार को बादल छाने के बाद किसान बारिश की उम्मीद लगाए थे। बुधवार की रात से लेकर गुरुवार शाम तक कई बार मामूली बूंदाबांदी हुई। कुछ स्थानों पर बारिश भी हुई, लेकिन गुरुवार की रात से बारिश शुक्रवार की शाम तक रुक-रुककर जारी रही। इस बारिश से फसलें लहलहा उठीं। मिश्रिख क्षेत्र के किसान रामदास ने बताया कि यह बारिश नहीं खेतों में सोना गिरा है। उनकी सिचाई का कम से कम तीन हजार रुपया बच गया। मानपुर, हरगांव, मिश्रिख, कल्ली चौराहा, संदना, रामगढ़, औरंगाबाद, नैमिषारण्य, रामकोट, लहरपुर, महमूदाबाद, तंबौर, बिसवां, अटरिया, कमलापुर, पिसावां, भदफर, पहला, रामपुर मथुरा आदि क्षेत्रों में अच्छी बारिश हुई।