शंख ध्वनि की गूंज और कूच कर गए जल प्रहरी
कठिना और गोमती के संगम स्थल पर पूजन कर आगे बढ़ा कारवां
अखिलेश सिंह, पिसावां (सीतापुर)
कठिना बचाओ मुहिम का रथ अब पहले पड़ाव की ओर कूच कर चुका है। शनिवार सुबह विधिवत पूजन-अर्चन के बाद जल प्रहरी अपने मिशन पर आगे बढ़ गए हैं। तीन दिन तक गांवों में सर्वे के बाद यह प्रहरी कठिना को बचाने के संबंध में अपनी रिपोर्ट उप निदेशक कृषि अरविद मोहन मिश्र को सौंपेंगे।
शनिवार सुबह करीब आठ बज रहे थे। हरनीकला के पास कठिना और गोमती का संगम गुलजार था। करीब सवा आठ बजे कठिना बचाओ समिति में शामिल जल प्रहरी ने कठिना नदी की पूजा की। इसके बाद शंख ध्वनि बजते ही जल प्रहरी प्रगतिशील किसान और लोक भारती के जिला संयोजक कमलेश सिंह की अगुवाई में आगे बढ़ पड़े। गांव-गांव लोगों से संपर्क किया गया। उन्हें कठिना बचाओ अभियान के बारे में जानकारी दी गई। शाम पांच बजे के करीब जल प्रहरी अपने पहले पड़ाव चिरहुला घाट पर पहुंच गए।
कठिना बचाने की मुहिम पर निकले जल प्रहरी गांवों में दाखिल होते ही जागरूकता के नारे लगाते। हम सबने ठाना है, अब कठिना को बचाना है..। यही नहीं, पौधारोपण की उपयोगिता के बारे में भी जानकारी दी गई। इसके लिए ऐसे लोगों को चिह्नित किया गया, जिनका खेत कठिना के किनारे है।
ड्रोन कैमरे से ली गई तस्वीरें
प्रहरियों ने सभी गतिविधियों को ड्रोन कैमरे ने कैद किया। कठिना के जलस्त्रोतों व बरसाती नालों को भी चिह्नित किया गया।
लोकगीतों ने भी बांधा समां
कठिना बचाओ मुहिम के पहले चरण में जल प्रहरियों के साथ लोकगीत गायक सुदामा भी रहे। वह लोकगीतों के जरिये कठिना को बचाने के लिए जागरूकता गीत गाते रहे।
'जल, जमीन और जंगल हमारे जीवन का आधार है। ऐसे में हमें जागरूक होकर इनकी रक्षा करनी चाहिए। प्रकृति के संरक्षण में अपना योगदान देना चाहिए।'
- सुशील कुमार, डीसी मनरेगा
'यात्रा के पहले दिन लोगों में काफी उत्साह दिखा। ग्रामीणों ने भी इस मुहिम में साथ चलने की हामी भरी है। हम सब मिलकर कठिना को पुनर्जीवित करेंगे।'
- कमलेश कुमार सिंह, जिला संयोजक, लोकभारती