दुर्गापुरवा में घर, खेत और खलिहान बहाए ले जा रही घाघरा

रविवार दोपहर तक पांच घर कटे बेघर हो गए परिवार खरीफ फसलों के साथ खेतों को बहा ले जा रही घाघरा

By JagranEdited By: Publish:Sun, 03 Oct 2021 11:43 PM (IST) Updated:Sun, 03 Oct 2021 11:43 PM (IST)
दुर्गापुरवा में घर, खेत और खलिहान बहाए ले जा रही घाघरा
दुर्गापुरवा में घर, खेत और खलिहान बहाए ले जा रही घाघरा

सीतापुर : गांजर में घाघरा नदी के टापू पर बसे दुर्गापुरवा गांव में इन दिनों घर व खेत-खलिहान धार में कटकर बहे जा रहे हैं। लोगों के देखते-देखते सब कुछ नदी में बहा जा रहा है। नदी उत्तर से दक्षिणी की तरफ कटान करती आ रही है। शनिवार दोपहर से नदी रामकुमार, शत्रोहन, जगदीश, श्रीपाल, सोबरन का घर काट रही थी। रविवार दोपहर इनके घर पूरी तरह से कटकर नदी की धार में बह गए हैं। दुर्गापुरवा के शिवम कुमार ने फोन पर बताया, पंद्रह दिन पहले उनका भी घर कट गया। पिता अनुग्रह प्रसाद व उनके दोनों भाइयों की 10 एकड़ खेती कट गई है। इसमें धान की फसल थी। नरेंद्र कुमार का भी छह बीघे खेत कट गया है। सप्ताह भर पहले नरेंद्र का घर कटकर नदी में बह गया था। हीरालाल का आठ बीघे खेत कटकर नदी में बह गया है। इसमें धान की फसल थी। कटान तेज है। निर्मलपुरवा से रामलालपुरवा, पासिनपुरवा से लोधपुरवा संपर्क भी कट गया है। इन मार्गों पर नदी की धार बह रही है। शिवम ने बताया, उनके गांव दुर्गापुरवा में 20-25 दिन से कोई अधिकारी भी देखने नहीं आया। हां, चार-पांच दिन पहले लेखपाल सदानंद जरूर आए थे।

बेघर होकर मार्गों पर डाला डेरा

दुर्गापुरवा में जिनके घर कट गए हैं, वह 25-30 परिवार रामलालपुरवा, सुकईपुरवा मार्ग पर रह रहे हैं। दूलामऊ नई बस्ती में भी कुछ परिवार रहने को चले गए हैं। इन परिवारों के पास खाद्य सामग्री का अभाव हो गया है।

मेउड़ी छोलहा में कट रहे खेत

मेउड़ी छोलहा से श्रीरामपुरवा के बीच घाघरा-शारदा नदी कटान थम नहीं रहा है। नदी खेतों को काट रही है। पीड़ित किसानों ने बताया, उन लोगों ने बड़ी मेहनत व उधार-व्यवहार रुपये लेकर फसलें बोई थीं।

वर्जन-

नदियों का जल स्तर कम हो रहा है। दुर्गापुरवा में कटान हो रहा है। प्रभावित फसलों का सर्वे करा रहे हैं। पीड़ित परिवारों में अब राहत सामग्री बांटने की जरूरत नहीं है। दुर्गापरवा में कटान रोकने को सिचाई विभाग की कोई परियोजना नहीं थी। फौजदार पुरवा में कटान रोधी कार्य जून में शुरू हुए थे, पर बाढ़ आ जाने से कार्य पूरे नहीं हो पाए। नदी ने फौजदार पुरवा को काटकर अस्तित्व समाप्त कर दिया है।

- अविचल प्रताप सिंह, तहसीलदार-बिसवां

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