पहले दिन बच्चे पहुंचे स्कूल, शिक्षकों ने बरसाए फूल

बच्चों का शिक्षकों ने तिलक लगाकर किया स्वागत सम्मान

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 12:27 AM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 12:27 AM (IST)
पहले दिन बच्चे पहुंचे स्कूल, शिक्षकों ने बरसाए फूल
पहले दिन बच्चे पहुंचे स्कूल, शिक्षकों ने बरसाए फूल

सीतापुर: प्राथमिक विद्यालय एक बार फिर गुलजार हो गए हैं। पिछले एक साल से कोरोना संक्रमण के कारण विद्यालय बंद थे। शासन के निर्देश पर कोविड प्रोटोकाल के बीच प्राथमिक स्कूलों को खोला गया। जहां बच्चे एक साल बाद पुन: स्कूल पहुंचने को लेकर उत्साहित थे वहीं विद्यालय प्रबंधन व शिक्षक भी बच्चों के स्वागत के लिए गेट पर खड़े थे।

बच्चों का टीका चंदन के साथ स्वागत

खैराबाद ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय शिवपुरी में प्रधानाध्यापक डॉ. अनुपम मिश्रा ने विद्यालय गेट पर गुब्बारे बांध रखे थे। बच्चे जब गेट पर पहुंचे तो उनकी थर्मल जांच व हैंड सैनिटाइजेशन शिक्षिका कर रही थीं। बच्चों के माथे पर टीका चंदन किया गया, पुष्पवर्षा की गई। शिक्षकों के साथ बच्चों ने मां सरस्वती का पूजन, प्रार्थना की। उसके बाद बच्चों को कोविड नियमों के मुताबिक ही कक्षा में प्रवेश दिया गया व बैठाया गया। वहीं कंपोजिट विद्यालय जमैयतपुर में प्रधानाध्यापक योगेंद्र पांडेय भी विद्यालय शिक्षिका ममता अग्निहोत्री, अर्चना मिश्रा, अरविद कुमार, महिमा दीक्षित, रागिनी श्रीवास्तव, स्मिता गुप्ता, ताहिरुन निशां, संदीप तिवारी, मनोज कुमार, गीता देवी के साथ विद्यालय गेट पर उपस्थित थे। उन्होंने स्वागत सम्मान किया। विद्यालय को गुब्बारों से सजाया गया था। बच्चों का तिलक किया गया उसके बाद बच्चों की थर्मल जांच करते हुए कोविड नियम समझाए गए। बच्चों को कक्षाओं में बैठाया गया।

विद्यालय आने पर बच्चों की हुई आरती

ऐलिया के प्राथमिक विद्यालय सरना में प्रधानाध्यापिका आफरीन ने बच्चों का विशेष ढंग से स्वागत किया। उन्होंने विद्यालय गेट पर बच्चों की आरती की गई। वहीं शहर के मध्य स्थित विश्वंभर नारायण स्कूल में बच्चों की आरती उतारी गई।

अभिभावकों से लिया गया सहमति पत्र

बच्चों के अभिभावकों से सहमति पत्र लिया गया। उसके बाद ही बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिया गया। जो बच्चे सहमति पत्र नहीं लाए थे उनके अभिभावकों से देने को कहा गया।

पहले दिन पचास प्रतिशत बुलाया गया

शासन ने बच्चों को निर्धारित दिन के मुताबिक ही बुलाने के निर्देश दिए थे। पंजीकृत बच्चों के सापेक्ष केवल पचास प्रतिशत छात्रों को बुलावाया गया था। पहले दिन स्कूलों में कक्षा एक व पांच के छात्रों को ही बुलवाया गया। कुछ विद्यालयों में सभी बच्चे पहुंच गए तो उनको शिक्षकों से समझाकर वापस किया।

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