फूलों को कचरे में जाने से बचाया, घर-आंगन महकाया
मंदिरों के बाहर से फूल सहेज बना दिया रूम फ्रेशनर
सीतापुर(विनीत पांडेय):
विज्ञान शिक्षक डा. योगेश दीक्षित ने मंदिरों से कचरे में फेंके गए फूलों से बेहद कम लागत में रूम फ्रेशनर तैयार कर दिया है। इस काम को उन्होंने विद्यालय के बच्चों और शिक्षकों के सहयोग से किया है। करीब 100 रुपये के खर्च में पांच लीटर रूम फ्रेशनर तैयार हो जाता है। विज्ञान शिक्षक को अपने इस आइडिया की वजह से स्वच्छ भारत मिशन की ओर से फेलोशिप भी मिली है।
ऐसे आया विचार
सेक्रेड हार्ट डिग्री कालेज के शिक्षक डा. योगेश दीक्षित का कहना है कि प्रतिदिन मंदिरों में पूजा अर्चना के बाद फूलों को हटा दिया जाता है। भगवान पर चढ़े ये फूल अधिकांश मंदिरों से बाहर फेंक दिए जाते हैं। इसके बाद ये कचरे में तब्दील हो जाते हैं। डा. योगेश को यह बेकद्री अखरी। इसके बाद उन्होंने यह सोचना शुरू कर दिया कि कैसे इन फूलों को कूड़े में जाने से बचाया जा सकता है। काफी सोंच विचार के बाद रूम फ्रेशनर तैयार करने का आइडिया मन में आया। इस काम में कालेज की शिक्षक सुष्मिता श्रीवास्तव व दुष्यंत जायसवाल ने भी साथ दिया। कालेज के छात्रों की मदद से 25 मंदिरों से करीब 30 किलो फूल एकत्र कराए।
इस तरह बनाया रूम फ्रेशनर
डा. योगेश दीक्षित का कहना है कि उन्होंने गुलाब व गेंदा के फूल अलग किए। उनकी पंखुड़ियों को तोड़ लिया। इन पंखुड़ियों को कच्ची गुड़ के घोल में डाल दिया। एक बोतल में रखकर उसमें एक चम्मच यीस्ट (किण्वन, प्रचलित भाषा में खमीर) डाला। इसके बाद मात्रा के अनुपात में करीब 10 फीसद एल्कोहल मिलाया। तीन-चार दिन तक हर रोज बोतल का ढक्कन कुछ देर के लिए खोला, जिससे गैस निकल जाए। एक माह तक बोतल बंद रखी रही। बाद में बोतल में रखे घोल को छान लिया। अब यह रूम फ्रेशनर के जैसे ही सुगंध बिखेर रहा था। फूलों के वेस्ट से खाद भी बनाई जा सकती है।
स्वच्छ भारत मिशन से मिली फेलोशिप
डा. योगेश दीक्षित का कहना है कि उन्होंने अपना यह प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत मिशन को भेजा। यह आइडिया वहां भी पसंद आया। डा. दीक्षित को एक वर्ष की फेलोशिप मिली है। अब वह मंदिरों के बाहर से फूलों के कलेक्शन की योजना बना रहे हैं।