कठिना के जलस्त्रोतों के पुनर्जीवन को जल प्रहरियों ने की पदयात्रा
50 जल प्रहरियों की टीम ने पदयात्रा कर बनाई जलस्त्रोतों के पुनर्जीवन की रिपोर्ट
सीतापुर : पिसावां के हरनीकला से महोली तक करीब 40 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली कठिना के प्राकृतिक जलस्त्रोतों को संरक्षित करने का बीड़ा जल प्रहरियों ने उठाया। लोकभारती के कमलेश सिंह की अगुवाई में आसपास गांवों के किसानों ने नदी के किनारे पदयात्रा की और जलस्त्रोतों का पता लगाया। कठिना बचाओ की इस मुहिम में करीब 50 जल प्रहरियों ने भूमिका निभाई। जलस्त्रोतों का सर्वे कराया गया। कठिना को सुरक्षित करने के उपाय तलाशे गए। जल प्रहरियों की पहल पर प्रशासनिक अधिकारियों ने भी कठिना को संरक्षित करने का आश्वासन दिया। किसानों की पदयात्रा में भी प्रतिभाग किया। जल प्रहरियों ने यह अभियान तीन दिन तक चलाया। पदयात्रा हरनीकला से शुरू होकर महोली में समाप्त हुई।
ड्रोन से सर्वे, जलस्त्रोतों के पुनर्जीवन पर मंथन
कठिना बचाओ अभियान की अगुवाई कर रहे प्रगतिशील किसान कमलेश कुमार सिंह और उनके साथियों ने ड्रोन से कठिना का सर्वे कराया। खुद तो नदी के जलस्त्रोतों को संरक्षित करने के उपाय तलाशे ही, अधिकारियों का भी सहयोग लिया गया। 12 जून को अभियान के पहले दिन जल प्रहरी घाट पर रुक थे।
ग्रामीणों को सीख और पौधारोपण की मुहिम
कठिना बचाओ अभियान में शामिल जल प्रहरियों ने नदी के किनारे वाले गांवों के ग्रामीणों को जागरूक किया। नदी के जलस्त्रोतों को संरक्षित और पुनर्जीवित करने की सीख दी। साथ ही नदी के किनारे पौधारोपण की रूपरेखा भी तैयार की गई है।
प्रशासन को सौंपी जलस्त्रोतों के पुनर्जीवन की रिपोर्ट
लोकभारती के जिला संयोजक कमलेश सिंह ने बताया कि, तीन दिवसीय पदयात्रा में जलस्त्रोतों का पता लगाया गया। जलस्त्रोतों को कैसे पुनर्जीवित किया जाए। कठिना को किस तरह सुरक्षित किया जा सकता है, इसकी रिपोर्ट उप निदेशक कृषि को सौंपी जाएगी। कठिना बचाओ अभियान के दूसरे दिन उप निदेशक कृषि ने भी जल प्रहरियों की पदयात्रा में प्रतिभाग किया था। डीसी मनरेगा सुशील कुमार भी कठिना बचाओ मुहिम में शामिल हुए थे।