खेतों का कटान कर श्रीरामपुरवा व गोड़ियनपुरवा की ओर बढ़ रही नदी

इब्राहिम संजय व देवता के कुल आठ बीघे खेत फसल समेत कटकर नदी में बहे

By JagranEdited By: Publish:Sat, 02 Oct 2021 11:48 PM (IST) Updated:Sat, 02 Oct 2021 11:48 PM (IST)
खेतों का कटान कर श्रीरामपुरवा व गोड़ियनपुरवा की ओर बढ़ रही नदी
खेतों का कटान कर श्रीरामपुरवा व गोड़ियनपुरवा की ओर बढ़ रही नदी

सीतापुर : गांजर में नदी खेतों को काटकर श्रीरामपुरवा व गोड़ियनपुरवा की ओर बढ़ रही है। मेउड़ी छोलहा में घाघरा-शारदा नदियों का संगम है। शुक्रवार दोपहर से शनिवार तक मेउड़ी छोलहा गांव में तीन किसानों का कुल आठ बीघे खेत नदी ने काट दिया है। इनमें धान की फसलें थीं। इसमें इब्राहिम का दो बीघे और संजय व देवता के तीन-तीन बीघे खेत शामिल हैं।

मेउड़ी छोलहा गांव के पूरब में नदी का कटान तेज है। शनिवार को नदी के जल स्तर में भी उछाल आया है। वैसे सिचाई अधिकारियों ने मेउड़ी छोलहा गांव और प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों को कटान से सुरक्षित कर लिया है। छोलहा गांव के दक्षिण से गोड़ियनपुरवा, कहारनपुरवा की तरफ नदी बढ़ती जा रही है। गोड़ियनपुरवा में नई बस्ती है। बस्ती में पिछले साल की कटान में बेघर हुए 60-70 परिवार रहते हैं। नई बस्ती में मेउड़ी छोलहा के पूर्व प्रधान भूरे व उनका परिवार भी रहता है। भूरे ने बताया, नदी उनके घर से 150 मीटर दूर बची है। यदि कटान रोकने के प्रबंध न किए गए तो नई बस्ती में बेघरों के प्रधानमंत्री आवास योजना में बनाए गए के आवास भी कटकर बह जाएंगे। मेउड़ी छोलहा से पूरब की ओर श्रीरामपुरवा के बीच गोलाकार में नदी तेज गति से कटान कर रही है। श्रीरामपुरवा अब टापू की तरह दिखने लगा है। श्रीरामपुरवा गांव के दक्षिण की तरफ कुसमौरा व ताहपुर बजहा मार्ग है। जिस पर श्रीरामपुरवा के लोग आवागमन करते हैं। वैसे अभी तक श्रीरामपुरवा व मेउड़ी छोलहा के बीच की दूरी करीब 800 मीटर थी। मेउड़ी छोलहा व श्रीरामपुरवा के बीच डामर वाला मार्ग कटने के बाद अब श्रीरामपुरवा के लोगों को तीन किमी घूमकर कुसमौरा व ताहपुर बजहा होकर मेउड़ी छोलहा आते-जाते हैं। उधर, राजस्व निरीक्षक राकेश मिश्र ने बताया, कटान में प्रभावित कृषि जमीन का सर्वे किया जा रहा है।

बाढ़-कटान पीड़ितों का छलका दर्द..

मेउड़ी छोलहा के पप्पू उ़र्फ समीउद्दीन का कहना है कि उनके परिवार में 30 सदस्य हैं। इस बार की बारिश में उनके परिवार की 100 बीघे कृषि भूमि फसल सहित नदी में समा गई है। छह बीघे बाग थी। इसमें आम, जामुन, शीशम, गूलर के पेड़ थे। नदी के कटान भय से बाग के पेड़ औने-पौने दामों में बेच दिए थे। खेत कट गए तो चारे की दिक्कत से मवेशी भी बेच डाले। नदी घर के दरवाजे पर आ गई है। लालू भार्गव का कहना है कि उनके परिवार में तीन बेटे हैं। छह पोता-पोती हैं। लालू के पास 15 बीघे खेती थी। नदी में चली गई। घर भी कटने की कगार पर है।

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