पेड़ के नीचे कराह रहे पप्पू, डिवाइडर पर गुजरती मस्ताना की रात

रैन बसेरा में इंतजाम के नाम पर हो रही खानापूरी खुले आसमान के नीचे निराश्रितों की गुजर रही रात

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 11:08 PM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 11:08 PM (IST)
पेड़ के नीचे कराह रहे पप्पू, डिवाइडर पर गुजरती मस्ताना की रात
पेड़ के नीचे कराह रहे पप्पू, डिवाइडर पर गुजरती मस्ताना की रात

विनीत पांडेय, सीतापुर: जिला प्रशासन के निर्देश के बाद भी लोग खुले में रात गुजारने को मजबूर हैं। यह स्थिति शनिवार की रात दैनिक जागरण की पड़ताल में देखने को मिली। शनिवार रात 10 बजे कोतवाली प्रभारी के आवास के पास पीपल के नीचे वृद्ध पप्पू बैठे मिले पास में कूड़ा सुलग रहा था। हाल पूछने पर वह रोने लगे और कहा मैं तो मौत मांग रहा हूं, लेकिन मिल नहीं रही है। दीपावली के कुछ दिन पहले रात में किसी वाहन ने टक्कर मार दी थी। पैर टूट गया तब से ऐसे ही बैठे हैं पैर हिल नहीं रहे हैं। न लेट पा रहा हूं न चल पा रहा हूं। अपने पैरों से चादर हटाई और पैरों की सूजन दिखाकर कहा कि इस जिदगी से अच्छा है मौत आ जाए।

वहीं, कुछ दूरी पर चौराहे के निकट डिवाइडर पर खैराबाद के मस्ताना लेटे हुए थे। उन्होंने बताया उनके कोई संतान नहीं है। घर भी नहीं है। मजबूरन खुले में जीवन काट रहे हैं। मांग कर खाते हैं व रात में ऐसे ही सो जाते हैं।

टेंट लगाया, पन्नी बिछा दी और बन गया रैन बसेरा

रोडवेज बस अड्डे पर रैन बसेरे के नाम पर सिर्फ टेंट लगा हुआ है। तख्त पड़े हुए हैं, जमीन में पन्नी बिछी है। प्रकाश का भी कोई प्रबंध नहीं। रैन बसेरा में जमीन पर लेटे हरगांव निवासी मन्नालाल काम की तलाश में आए थे। पतली सी चादर में ठंड से बचने की कोशिश कर रहे थे। पूछने पर बताया सिर्फ पन्नी ही बिछी है कंबल आदि की कोई व्यवस्था नहीं है।

वहीं, तंबौर निवासी महेश लखनऊ से आए थे बस न मिलने पर रैन बसेरा में विश्राम करने पहुंचे, लेकिन उनको भी सिर्फ जमीन पर बिछी पन्नी ही नसीब हुई, ओढ़ने के लिए एक शाल वह खुद लाए थे।

चतरैया के महेंद्र दीक्षित दवा लेने आए थे सांस की तकलीफ है। घर वापस नहीं जा सके ठंडी जमीन पर लेटने को मजबूर हैं। खांसी भी खूब आ रही थी। इन लोगों ने बताया रैन बसेरा में सुविधा के नाम पर केवल पतली पन्नी ही है। तख्त भी खाली हैं। न गद्दे हैं और ओढ़ने के कंबल ही दिए गए हैं। इतना ही नहीं टेंट के जो पर्दे लगे हैं वह भी नीचे से खुले होने के कारण हवा भी खूब आ रही है।

ढांचा लगाया और काम हो गया काम

कोतवाली चौराहे पर रैन बसेरा के नाम पर मजाक नजर आया। यहां एक सप्ताह से टेंट के लिए केवल चारों ओर पाइप लगाकर ढांचा तैयार किया गया। मगर टेंट अब तक नहीं लगाया। जबकि आसपास रिक्शा चालक, ठेले वाले व कुछ दूरी पर बने अस्पताल में तीमारदार भी खुले में बैठे दिखाए दिए।

आटो चालक ने दी शाल

जिस दौरान दैनिक जागरण की टीम डिवाइडर पर लेटे मस्ताना से बात कर रही थी, उसी समय आटो चालक छोटू कश्यप वहां से गुजरे। कुछ दूर जाकर अपना आटो वापस लाए और एक सफेद रंग की शाल निकाल कर मस्ताना को भेंट कर दी। मस्ताना ने भी छोटू को खूब आशीर्वाद दिया।

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