उम्मीदों की उधेड़बुन में खादी

ज्यादा पुरानी बात नहीं है जब खादी उद्योग में सीतापुर के कामगारों

By JagranEdited By: Publish:Thu, 19 Sep 2019 10:29 PM (IST) Updated:Thu, 19 Sep 2019 10:29 PM (IST)
उम्मीदों की उधेड़बुन में खादी
उम्मीदों की उधेड़बुन में खादी

अनिल विश्वकर्मा, सीतापुर : ज्यादा पुरानी बात नहीं है जब खादी उद्योग में सीतापुर के कामगारों का डंका बजता था। सूत कातने और थान तैयार करने में सीतापुर का नाम आता था, मगर अब यह उद्योग हिचकोले खाने लगा है। करीब 400 परिवारों पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है। हालांकि कामगारों से लेकर खादी आश्रम के अधिकारियों तक को यह उम्मीद है कि जल्द ही सरकार कोई ऐसा रास्ता निकालेगी, जिससे कारोबार मंदी से उबरेगा।

सीतापुर जिले में क्षेत्रीय श्रीगांधी खादी आश्रम है। इस आश्रम के माध्यम से जिले में 175 चरखे चलते हैं। इन चरखों से जो सूत तैयार होता है, उन्हें सीतापुर व बाराबंकी जिले में लगे 75 हथकरघों में भेजा जाता है, जहां से खादी के थान तैयार होते हैं। तैयार थान सीतापुर व लखीमपुर के शोरूम में बिकने के लिए रखे जाते हैं। सीतापुर जिले में सात व लखीमपुर खीरी जिले में छह शोरूम हैं। आश्रम के माध्यम से चलाए जा रहे इस उद्योग धंधे से करीब 400 परिवारों का खर्च चलता है। इधर बीते चार माह से बाजार में जो मंदी आई, उसका असर सीधे खादी उद्योग पर पड़ा है। सूत कताई, बुनकर व कर्मचारी इन दिनों खाली हाथ बैठे हैं।

चरखों के लिए सूत कातने का कच्चा माल नहीं मिल रहा है, तो हथकरघों को सूत नहीं उपलब्ध हो पा रहा है। नतीजा थान भी तैयार नहीं हो रहे हैं। खादी उद्योग के अधिकारियों की मानें तो अब एक वर्ष में खादी आश्रम करीब डेढ़ करोड़ का कारोबार करता आया है। इस वर्ष की बात करें तो अगस्त माह तक 65 से 70 लाख रुपयों का ही कारोबार हुआ है।

सरकार से उम्मीद

चरखे व हथकरघे नहीं चल रहे हैं। माल तैयार न होने से शो रूम भी खाली-खाली हैं। उम्मीद है, कि जल्द ही सरकार कोई ऐसा एलान करेगी, जिससे खादी उद्योग को रफ्तार मिलेगी।

एनपी पांडेय, सचिव, क्षेत्रीय श्रीगांधी खादी आश्रम

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