बैंक विलय में फंसी 1200 आवासों की किस्त
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सीतापुर: इलाहाबाद यूपी ग्रामीण बैंक का आर्यावर्त में विलय होने के बाद शुरू हुई दिक्कतें अब तक दूर नहीं हुई हैं। कल्याणकारी योजनाओं के पात्र लाभाíथयों की धनराशि बैंकिग में फंस गई है। शौचालय व आवास योजना के लाभार्थी बैंक व विकास भवन के चक्कर लगा रहे हैं। मनरेगा मजदूरों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। बैंक विलय होने के बाद खाता सत्यापन में जिले के 1200 प्रधानमंत्री आवास लाभार्थियों को आवास की पहली किस्त नहीं मिल पाई है। इलाहाबाद यूपी ग्रामीण बैंक के विलय का सबसे अधिक असर कल्याणकारी योजनाओं के लाभाíथयों पर पड़ा है। पेंशन के साथ ही मनरेगा, शौचालय व प्रधानमंत्री आवास के लाभाíथयों को समस्याएं झेलनी पड़ी। लाभाíथयों की समस्याओं का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है। खाता सत्यापन के फेर में फंसे लाभाíथयों को विकास भवन व बैंकों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। बैंक विलय का असर आवास योजना की प्रगति पर भी पड़ रहा है। आवास के अलावा मनरेगा मजदूरों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
रेउसा के 285 लाभाíथयों को धनराशि का इंतजार
विकास खंड रेउसा के 285 आवास लाभार्थी खाता सत्यापन के फेर में फंसे हैं। बैंक विलय से इनको अभी आवास की किस्त नहीं मिल पाई है। विकास खंड रामपुर मथुरा के 197 आवास लाभाíथयों को भी खाता सत्यापन का इंतजार है। ब्लॉक पिसावां के 153, पहला के 119 व मिश्रिख विकास खंड के 106 लाभाíथयों को आवास की किस्त नहीं मिल पाई है। इसी तरह अन्य ब्लॉकों के लाभाíथयों की किस्त भी सत्यापन में अटकी है।
वर्जन
बैंक विलय के चलते लाभाíथयों को आवास की किस्त भेजने में समस्या हुई। खाता सत्यापन न होने पाने के चलते 1200 लाभाíथयों के आवास की पहली किस्त रुकी हुई है।
एके सिंह, पीडी