हौसले के आगे हारे 'अपनों' के ताने, बेसहारा महिलाओं की प्रेरणा बनीं परमजीत
नहीं तोड़ी हिम्मत कर्ज अदा किया ट्रैक्टर खरीदा और चलाना सीखा फिर शुरू की किसानी
निर्मल पांडेय, सीतापुर: खेत में दौड़ रहे ट्रैक्टर से उठती धूल के बीच परमजीत गन्ने की बोआई को कूड़ काट रही थीं। कुछ दूर खड़े लोग इस दृश्य को देख रहे थे। किशनू ने कहा, देख लीजिए इस महिला ने किसानी में धूम मचा रखी है। खुद ट्रैक्टर चला रही है। वैसे परमजीत ही नहीं, उनकी चारों बेटियां भी खेत में ट्रैक्टर चलाती हैं। मां के साथ खेती में काम करके बेटियों को भी किसानी की अच्छी पहचान हो गई है। परमजीत पिसावां के जिगनिया शिवराजपुर की हैं।
पति की मौत के बाद परमजीत ने 'अपनों' के तमाम ताने झेले, पर हिम्मत नहीं हारी। बताती हैं कि पति धरमपाल के जीवित रहते उन्होंने कभी घर की दहलीज पार नहीं की थी। पति के इलाज में कर्ज हो गया था। 2015 में धरमपाल ने दुनिया छोड़ी थी।
परमजीत के मुताबिक, परिवार के लोगों ने खेती बेचकर पंजाब लौटने की सलाह दी थी। निजी कर्ज देने वालों के दबाव में उन्होंने चार एकड़ खेती बेची थी। पति के गुजरने के वक्त खेत में पांच एकड़ गन्ना था। पर्चियां नहीं थीं। इसी बीच उनके घर हरियावां चीनी मिल के जोनल हेड अनुज सिंह चौहान पहुंचे थे। अनुज ने हिम्मत दी और फिर परमजीत ने पंजाब लौटने का निर्णय बदला था।
बेटियों को भी किया शिक्षित, बेटा पढ़ रहा पंजाब में:
परमजीत के चार बेटियां व बेटा जीवन लाल है। तीन बेटियों का विवाह हो चुका है। बेटा जीवन लाल पंजाब में नाना के यहां रहकर स्नातक की पढ़ाई कर रहा है, जबकि रजनी देवी यहीं मैगलगंज के महाविद्यालय में पढ़ रही है।
11 एकड़ है खेती:
परमजीत के पास 11 एकड़ खेती है। पांच एकड़ में गेहूं और आठ बीघे में सरसों बोया है। आठ एकड़ में गन्ने की फसल है। परमजीत ने तीन साल पहले ट्रैक्टर लिया था। फिर उसे खुद चलाना सीखा था।
गन्ने की नर्सरी से भी कमाई:
पिछले साल से परमजीत गन्ना बीज नर्सरी बनाती हैं। पहली बार में 50 हजार गांठ लगाई थीं। इसमें तीस हजार पौधे बेचे थे। फिर 20 हजार गांठ की नर्सरी डाली है। यह नर्सरी 40-45 दिन में तैयार होती है।
आयुक्त कर चुके हैं सम्मानित:
हरियावां चीनी मिल के अनुज सिंह ने बताया, परमजीत गन्ना का काफी अच्छा उत्पादन करती हैं। इन्हें गन्ना आयुक्त संजय आर भूसरेड्डी भी सम्मानित कर चुके हैं।