दीपोत्सव पर स्वदेशी झालरों से सजेगा घर-द्वार, चहक उठे बाजार

फूल लीची बेर व लैंप वाली और अंगूर वाली झालरें तथा घूमने वाले रंग-बिरंगे बल्ब बने आकर्षण का केंद्र।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 11:19 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 11:19 PM (IST)
दीपोत्सव पर स्वदेशी झालरों से सजेगा घर-द्वार, चहक उठे बाजार
दीपोत्सव पर स्वदेशी झालरों से सजेगा घर-द्वार, चहक उठे बाजार

सीतापुर : दीपावली की तैयारियां जोरों पर हैं। बाजार भी सज गए हैं। इस बार बाजार में स्वदेशी बिजली झालरों की बिक्री बढि़या है। रंग-बिरंगी डिजाइनदार झालरें मौजूद हैं। झालरों व दीपों से घरों को चमकाने की ललक युवाओं को इनकी ओर आकर्षित कर रही है। फूल, लीची, बेर, लैंप वाली और अंगूर वाली झालरें तथा घूमने वाले रंग-बिरंगे बल्ब बाजार में हैं। बाजारों में इलेक्ट्रिक मोमबत्ती, दीया और कलश की भी जबरदस्त मांग है। दुकानों में क्रम से लगे दीपक हों या फिर मोमबत्ती वाली झालरें या रंग-बिरंगी रोशनी वाले बल्ब, इनकी मांग बढ़ी है।

इलेक्ट्रानिक सामान के विक्रेता अरुणेश बाजपेयी का कहना है कि स्वदेशी झालरों की मांग अधिक है। चाइनीज झालरें दाम में सस्ती होती हैं, मगर वे टिकाऊ नहीं हैं। स्वदेशी 10 मीटर लंबी झालर 70 रुपये में बिक रही है। इसमें 35 बल्ब लगे हैं। चक्का की पांच मीटर लंबी झालर 80 रुपये की है। वहीं, दुकान पर खरीदारी कर रहे मानपुर कटरा के सुरेंद्र ने बताया, उन्होंने स्वदेशी झालर ही खरीदी हैं।

गुलदस्तों का जोर :

लालबाग में कृत्रिम खूबसूरत गुलदस्ते भी बिक रहे हैं। घंटाघर में कई दुकानें सजी हुई हैं। कारोबारी गुड्डू ने बताया कि वह इस बार दिल्ली से बेहतरीन गुलदस्ते लाए हैं। एक हजार रुपये से 12 सौ रुपये के खूबसूरत स्वदेशी गुलदस्ते हैं। इनमें मिनी प्लांट का आर्टीफिशियल (कृत्रिम) पेड़, सुराही फ्लावर पाट व लकड़ी फ्लावर पाट यूनिक आइटम हैं।

धनतेरस को लेकर सजने लगा बर्तन बाजार :

बर्तन बाजार में धनतेरस की तैयारियां हो रही हैं। बाजार में महंगाई का असर है। बर्तन व्यापारी कुंवर जी टंडन का कहना है कि स्टील, एल्युमिनियन व तांबे के बर्तनों के रेट बहुत बढ़ गए हैं। पिछले सप्ताह बारिश होने से इस बार करवा की बिक्री बढि़या नहीं हुई है। इस बार स्टील 250 रुपये, एल्युमिनियम 300 रुपये व पीतल 650 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव में है। यह शुरुआती दरें हैं। बर्तन व्यापारी अचल गुप्ता बताते हैं कि पिछले सप्ताह बारिश का असर रहा कि करवा नहीं बिका।

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