बाल गृह ही नहीं, अभिभावकों के भरोसे ही बच्चे

- 22 बचों के खाते में भेजी जा चुकी है सहायता राशि - 20 बचों को बाल सेवा योजना का लाभ दिलाने की तैयारी

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 12:04 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 12:04 AM (IST)
बाल गृह ही नहीं, अभिभावकों के भरोसे ही बच्चे
बाल गृह ही नहीं, अभिभावकों के भरोसे ही बच्चे

सीतापुर : जिले में बाल गृह या बालिका गृह की सुविधा नहीं है। कोविड की दूसरी लहर में माता या पिता अथवा माता-पिता दोनों को खाने वाले बच्चों की जिम्मेदारी उनके अभिभावक ही संभाल रहे हैं। कोई अपने चाचा की देखरेख में तो कोई बड़े भाई के साथ रह रहा है। अभिभावकों के पास रहे रहे इन बच्चों को मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना से सहारा मिला है। बाल सेवा योजना से सहायता के तौर पर 22 बच्चों को प्रति माह 4000 की दर से तीन महीने के 12 हजार रुपये खाते में भेजे जा चुके हैं। धनराशि से बच्चों की काफी मुश्किलें आसान हो जाएंगी। यह 22 बच्चे पहले चरण में चिह्नित किए गए थे। दूसरे चरण में चिह्नित 20 बच्चों को भी योजना का लाभ देने की प्रक्रिया चल रही है।

लखनऊ में आवासित कराए जाते बच्चे

प्रोबेशन अधिकारी अश्विनी तिवारी के मुताबिक जिले में बाल या बालिका गृह नहीं है। जिले के अनाथ बच्चों को लखनऊ के बाल गृह या बालिका गृह में आवासित कराया जाता है। एक से दस वर्ष की उम्र के बच्चों को लखनऊ शिशु गृह भेजा जाता है। बच्चों की देखरेख वहीं होती है। बच्चों को गोद लेने की इच्छा रखने वाले दंपती को निर्धारित प्रक्रिया पूरी करनी होती है।

22 में 15 बच्चे कर रहे हैं पढ़ाई

कोविड की दूसरी लहर में अनाथ हुए 22 में से 15 बच्चों की पढ़ाई चल रही है। पांच वर्ष से कम आयु के सात बच्चों का प्रवेश अभी नहीं कराया गया है। इन 22 बच्चों में लड़कियों की संख्या आठ है। बच्चों की परवरिश की प्रोबेशन विभाग मानीटरिग कर रहा है। बाल सेवा योजना से सहायता राशि देने के बाद उसकी पड़ताल भी की जा रही है।

आंकड़ों में बच्चे और सहायता राशि

- 42 बच्चे चिह्नित किए गए बाल सेवा योजना में

- 22 बच्चों को तीन माह की सहायता राशि भेजी गई

- 12-12 हजार रुपये खाते में भेजे गए

- 4000 रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे योजना से

- 20 बच्चों को लाभ देने की प्रक्रिया चल रही

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