नहीं रहे गांजर के 'गांधी' पूर्व मंत्री मुख्तार अनीस

तबियत बिगड़ने के बाद पीजीआइ लखनऊ में कराया गया था भर्ती

By JagranEdited By: Publish:Thu, 01 Apr 2021 12:30 AM (IST) Updated:Thu, 01 Apr 2021 12:30 AM (IST)
नहीं रहे गांजर के 'गांधी' पूर्व मंत्री मुख्तार अनीस
नहीं रहे गांजर के 'गांधी' पूर्व मंत्री मुख्तार अनीस

सीतापुर: गांजर के गांधी कहे जाने वाले सपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री मुख्तार अनीस का मंगलवार की रात निधन हो गया। वह 77 वर्ष के थे। उनके पुत्र जहीर अब्बास ने बताया कि रात करीब एक बजे लखनऊ आवास पर पिता की तबियत बिगड़ी। इसके बाद उन्हें पीजीआइ में भर्ती कराया गया। मंगलवार रात करीब 10:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। बकौल जहीर उनके पिता मुख्तार अनीस काफी समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें न्यूरो की समस्या थी। इसका इलाज भी चल रहा था। निधन के बाद बुधवार को पूर्व मंत्री मुख्तार अनीस के शव को सीतापुर लाया गया। यहां पर शव को इमामबाड़े में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। इसके बाद सिटी स्टेशन के निकट करबला में शव को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। इससे पहले इमामबाड़े पर अंतिम दर्शन के लिए जिले के विभिन्न स्थानों से लोग आए। तंबौर में व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे।

तंबौर के निवासी थे मुख्तार अनीस

8 जून 1943 को किसान परिवार में जन्म लेने वाले मुख्तार अनीस मूलत: सीतापुर के तंबौर के रहने वाले थे। उनके परिवार में पत्नी अजीज मिर्जा के अलावा दो पुत्र यूसा रिजवी और जहीर अब्बास भी हैं।

इमरजेंसी में जेल गए, तीन बार मंत्री भी रहे

मुख्तार अनीस बचपन से ही डॉ. मनोहर लोहिया के विचारों से प्रभावित थे। उन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। वर्ष 1969 में उन्हें समाजवादी युवजन सभा का राज्य सचिव नामित किया गया था। इमरजेंसी के दौरान भी वह 14 महीने जेल में भी रहे। वर्ष 1977 में पहली बार विधायक चुने गए। इसके बाद तीन बार मंत्री भी रहे। 1996 में वह सांसद बने।

गांजर के विकास के लिए निकाली थी पद यात्रा

मुख्तार अनीस को गांजर का गांधी कहा जाता है। वह गांजर के विकास के लिए हमेशा सक्रिय रहे। सीतापुर से बहराइच को जोड़ने वाले करीब तीन किमी लंबे चहलारी घाट पुल निर्माण के लिए इन्होंने लखनऊ तक पद यात्रा की थी। बेदाग छवि के मुख्तार अनीस का हर वर्ग सम्मान करता था। पिछले कुछ वर्षों से वह राजनीति में सक्रिय नहीं थे।

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