महिला अस्पताल में जच्चा-बच्चा की मौत पर हंगामा

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By JagranEdited By: Publish:Fri, 06 Dec 2019 11:31 PM (IST) Updated:Sat, 07 Dec 2019 06:08 AM (IST)
महिला अस्पताल में जच्चा-बच्चा की मौत पर हंगामा
महिला अस्पताल में जच्चा-बच्चा की मौत पर हंगामा

सीतापुर : जिला महिला अस्पताल एक बार फिर सवालों के घेरे में है। प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत से गुस्साए परिवारजन ने जमकर हंगामा काटा। अस्पताल प्रशासन पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाकर प्रदर्शन किया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने गुस्साए लोगों को शांत कराया। हालांकि, कोई कार्रवाई के बिना परिवारजन शवों को लेकर चले गए। बिसवां के गांव बभूर निवासी रेनू देवी (27) पत्नी दिनेश गर्भ से थी। शुक्रवार की सुबह उसे प्रसव पीड़ा शुरू हुई। डिलीवरी के लिए बिसवां सीएचसी में भर्ती कराया गया, जहां पर कुछ देर बाद प्रसूता की हालत को नाजुक देखते हुए जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। यहां प्रसूता को प्रसव को लिए भर्ती कराया गया। बताया जाता है कि डिलीवरी के दौरान महिला और उसके बच्चे की मौत हो गई। इसकी सूचना मिलते ही परिवारजन भड़क गए। अस्पताल की डॉक्टर और नर्स पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा काटना शुरू कर दिया। मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। सूचना मिलने पर इंस्पेक्टर बृजेश मिश्रा मौके पर पहुंचे और लोगों को कार्रवाई का आश्वासन देकर शांत कराया। इंस्पेक्टर शहर कोतवाली अंबर सिंह ने बताया कि पुलिस मौके पर गई थी, लेकिन परिवारजन कोई कार्रवाई नहीं चाह रहे थे। शव लेकर घर चले गए थे।

एनआइसीयू में नवजात की मौत, लापरवाही का आरोप

संसू, सीतापुर : जिला महिला अस्पताल के एनआइसीयू में भर्ती खैराबाद के स्वेताहार निवासी सपना पत्नी नरेंद्र के नवजात बच्चे की शुक्रवार शाम को मौत हो गई। बताते हैं कि कई दिन पूर्व प्रसूता ने घर पर ही बेटे को जन्म दिया था, लेकिन उसकी हालत ठीक नहीं थी। समय से पहले डिलीवरी हो जाने से वह स्वस्थ्य नहीं था। इस वजह से उसे पांच दिन पूर्व भर्ती कराया गया था, जहां उसकी मौत हो गई। इसके बाद उसकी मां ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। कहा कि, मशीन में बच्चे को सही से नहीं रखा गया था। देखरेख भी नहीं की गई, इस वजह से मौत हो गई।

बिसवां की प्रसूता की हालत सीएचसी से गड़बड़ कर दी गई थी। बच्चे का हाथ बाहर निकल आया था। खून की जांच करानी थी, लेकिन ब्लड की कमी थी। इससे जच्चा-बच्चा की मौत हुई है। लापरवाही के आरोप निराधार हैं।

डॉ. सुषमा कर्णवाल, सीएमएस

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