अपने लाल की जांबाजी और बहादुरी पर इतराया रूढ़ा

थल सेनाध्यक्ष के कार्यक्रम के दौरान एक झलक पाने के लिए जुटे लोग

By JagranEdited By: Publish:Fri, 19 Mar 2021 11:28 PM (IST) Updated:Fri, 19 Mar 2021 11:28 PM (IST)
अपने लाल की जांबाजी और बहादुरी पर इतराया रूढ़ा
अपने लाल की जांबाजी और बहादुरी पर इतराया रूढ़ा

सीतापुर : शुक्रवार सुबह भारतीय थल सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे ने रूढ़ा आकर परमवीर चक्र विजेता शहीद कैप्टन मनोज पांडेय की स्मारक अनावरण से पहले उन्हें सलामी दी। फिर प्रतिमा पर पुष्पचक्र अर्पित किया। इसके बाद उन्होंने सभा पंडाल में आकर कैप्टन के पिता गोपी चंद्र पांडेय व माता मोहिनी पांडेय को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। इस तरह भारतीय थल सेना प्रमुख नरवणे के आगमन से भारतीय शौर्य के इतिहास में रूढ़ा की शुक्रवार की भोर फिर दर्ज हो गई है। इससे पहले दो-तीन जुलाई 1999 की रात कैप्टन मनोज पांडेय ने अदम्य साहस दिखाते हुए दुश्मनों से मोर्चा लेकर रूढ़ा गांव की बहादुरी भारतीय शौर्य के नाम की थी।

शहीद कैप्टन मनोज की बहादुरी पर नाज है..

सेना प्रमुख को अपने बीच पाकर शहीद के परिवार वाले ही नहीं बल्कि, गांव वाले भी अपने को धन्य ही मान रहे थे। गांव में बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के चेहरे पर खुशी का ठिकाना नहीं था। सेना के मुखिया के आगमन पर गांव का हर कोई उनका तहे दिल से स्वागत किया। युवा वर्ग शहीद परमवीर चक्र विजेता मनोज पांडेय के जज्बे और बहादुरी को सलाम कर रहा था। गांव के बुजुर्ग मनोज को अपना बेटा बता रहे थे। उन्हें मनोज की बहादुरी पर कितना नाज है, इसका बखान नहीं कर पा रहे थे। बुजुर्गों ने कहा, मनोज ने उनके गांव को धन्य कर दिया, उनका रूढ़ा अब पहचान को मोहताज नहीं रहा।

शहीद कैप्टन मनोज पांडेय का परिचय

वर्ष 1999 में कारगिल के विजय ऑपरेशन के दौरान अपनी टुकड़ी का नेतृत्व करते हुए दो-तीन जुलाई की रात कैप्टन मनोज पांडेय शहीद हुए थे। रूढ़ा गांव में इनका जन्म 25 जून 1975 को हुआ था। वह सात जून 1997 को थल सेना में भर्ती हुए थे। इन्हें मरणोपरांत 15 अगस्त 1999 परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। परिवार में पिता गोपी चंद्र पांडेय, माता मोहिनी पांडेय, बहन प्रतिमा मिश्रा, भाई मोहित पांडेय व मनमोहन पांडेय उर्फ सोनू हैं।

परमवीर चक्र विजेता का परिवार निहाल

चित्र-19 एसआइटी-9-

बहादुर बड़े बेटे ने सीना चौड़ा कर दिया है। बेटे की बहादुरी सेना में भी प्रेरणादायक है। मनोज सिर्फ हमारा ही नहीं बल्कि भारत माता का भी बेटा था। यह तो हमारा सौभाग्य है कि ईश्वर ने हमें मनोज जैसा बहादुर बेटा दिया था। खुद सेना प्रमुख ने हमारे गांव आकर बेटे के शहीद होने और उसकी बहादुरी का सम्मान किया है। यह पल मेरे लिए भूलने वाला नहीं है, बल्कि गर्व का है।

- गोपी चंद्र पांडेय (शहीद कैप्टन मनोज पांडेय के पिता)

मैं आज बहुत खुश हूं, बेटे की बहादुरी का सम्मान करने को खुद सेना प्रमुख मेरे गांव आए। उन्होंने परिवार का हाल पूछा, यह मेरे लिए गर्व का विषय है। सेना प्रमुख की इस तरह की कार्यशैली देश के प्रत्येक युवा को प्रेरणा देने वाली है। सेना में आकर देश के प्रति समर्पण भाव उत्पन्न करने को प्रेरणा देती है।

- मोहिनी पांडेय (शहीद कैप्टन मनोज पांडेय की माता)

इतनी खुशी है जितनी मनोज के जन्म पर परिवार को नहीं हुई होगी। मनोज मेरे चार भाई बहनों में सबसे बड़े थे। उनके बचपन का रहन-सहन और गंभीरता आज भी हमें अच्छी तरह से याद है। मेरे भाई की बहादुरी की तारीफ सेना प्रमुख कर रहे हैं, यह मेरे लिए बड़े ही गर्व की बात है।

- प्रतिमा मिश्रा (शहीद कैप्टन मनोज पांडेय की बहन)

- मनोज ने अपनी माता की कोख को अमर कर दिया है। देश की रक्षा में प्राण न्योछावर कर मनोज ने पिता को सर्वोच्च सम्मान दिलाया है। ऐसे पुत्र ने धरती पर जन्म लेकर न सिर्फ खुद का नाम रोशन किया बल्कि कुल की उन्नति की। शहीद मनोज पांडेय की मूर्ति का अनावरण गांव आकर खुद सेना प्रमुख ने किया। इसके लिए हम सब उनके आभारी हैं।

- भोला नाथ तिवारी (शहीद कैप्टन मनोज पांडेय के मामा)

सेना ने सहायता दी बच्चों को मिलेगी सुविधा..

स्कूल में बच्चों के बैठने को फर्नीचर नहीं है। स्कूल के किचन में घरेलू गैस का कनेक्शन तक नहीं है। इस संबंध में हमने विभाग को कई पत्र लिखे, पर सुनवाई के अभाव में बच्चों को सुविधा मुहैया नहीं हो पाई थी। स्कूल दो सहायक शिक्षक व कुल 109 बच्चे हैं। भारतीय थल सेना की ओर से मिली आर्थिक मदद से हम बच्चों के लिए फर्नीचर व्यवस्था करेंगे।

- अर्चना दीक्षित-प्रधानाचार्य, पूर्व माध्यमिक विद्यालय-रूढ़ा

chat bot
आपका साथी