क्षमता से कम गोवंश, अव्यवस्थाएं फिर भी तमाम

अकसोहा की गोशाला में संरक्षित गोवंशों की संख्या क्षमता

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 11:20 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 11:20 PM (IST)
क्षमता से कम गोवंश, अव्यवस्थाएं फिर भी तमाम
क्षमता से कम गोवंश, अव्यवस्थाएं फिर भी तमाम

सीतापुर : अकसोहा की गोशाला में संरक्षित गोवंशों की संख्या क्षमता से कम होने के बाद भी अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। बाउंड्री विहीन गोशाला में संरक्षित गोवंश आए दिन तारों की बैरीकेडिग से बाहर निकल जाते हैं। गोवंशों को पकड़ने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। गोवंशों के पेयजल का इंतजाम हैंडपंप के भरोसे है। गोवंशों की देखरेख करने वाले मजदूर बाल्टी से गोवंशों को पानी पिलाते हैं। चारा कटाई मशीन खराब पड़ी है। गोवंशों को सूखा भूसा ही दिया जा रहा है।

दो टिनशेड और गोवंश महज 43

अकसोहा गोशाला में संरक्षित गोवंशों की संख्या 43 है। गोवंशों के लिए दो टिनशेड डाले गए हैं। सभी गोवंश एक ही टिनशेड में आ जाते हैं। एक टिनशेड खाली रहता है, फिलहाल दूसरे टिनशेड में बछड़ों को बांधा जाता है। गोशाला में 60 से अधिक गोवंश संरक्षित किए जा सकते हैं।

गोशाला खाली, सड़कों पर घूमते गोवंश

अकसोहा गोशाला में गोवंशों को रखने की जगह खाली है और बेसहारा गोवंश रेउसा कस्बे की सड़कों पर घूमते नजर आते हैं। शाम के समय मेन रोड के किनारे गोवंशों का जमावड़ा नजर आता है। गलियों में भी गोवंश नजर आते हैं। वहीं आसपास गांवों में भी बेसहारा गोवंश देखे जा सकते हैं।

समय से नहीं मिलती मजदूरी

गोशाला में संरक्षित गोवंशों की देखरेख के लिए दो कर्मचारी लगाए गए हैं। कर्मचारी रामप्रकाश व रामू ने बताया कि मजदूरी समय से नहीं मिलती। हरा चारा काटने के लिए चारा मशीन खराब हो गई है। जिस टिनशेड में बछड़े बांधे जाते हैं, वहां की चरही टूट गई है। ईटें लगाकर किसी तरह गोवंशों को चारा खिलाया जा रहा है। मजदूरों ने बताया कि, सबसे बड़ी समस्या गोवंशों को पानी पिलाने की है। हैंडपंप से पानी पिलाना मुश्किल होता है। वर्जन

पड़ोस की बोरिग से पंपिग सेट के जरिए पेयजल के इंतजाम किए गए हैं। गोशाला में 60 गोवंश संरक्षित किए जा सकते हैं। सड़कों पर घूमने वाले गोवंशों को संरक्षित करने की व्यवस्था की जाएगी।

- हनुमान प्रसाद, बीडीओ रेउसा

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