नवरात्र शुरू, घर घर विराजीं महामाई,
वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कलश स्थापना के बाद की गई शैलपुत्री की आराधना
सीतापुर: वासंतिक नवरात्र पर्व शुभारंभ मंगलवार को हुआ। घर घर में महामाई का आगमन हुआ। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कलश स्थापना श्रद्धा, भक्ति व विश्वास के साथ हुई। घर से लगाकर मंदिरों तक मां के भक्त पहुंचे और अपनी अरदास लगाई। नौ दिन तक चलने वाले इस महापर्व में प्रतिदिन देवी के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना होती है। मंगलवार को पहले दिन कलश स्थापना के साथ माता के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा अर्चना हुई। भक्तों ने दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हुए मां शैलपुत्री प्राकट्य व महात्म्य की कथा सुनी। देवी मां ने पवर्तरात हिमालय के घर कन्या रूप में जन्म लिया इसलिए उनको शैलपुत्री कहा गया। देवी मां के यह स्वरूप लोगों को सुख समृद्धि प्रदान करने वाला है। अंत में आरती व प्रसाद वितरण हुआ।
कोरोना के चलते नैमिषारण्य नहीं पहुंचे श्रद्धालु
कोरोना के बढ़ते प्रकोप का असर मंदिरों में दिखा। वैसे नवरात्र में देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगती थी, लेकिन इसबार भक्तगण कम ही संख्या में पहुंचे। सोमवती अमावस्या पर निरीक्षण करने आईं आईजी लक्ष्मी सिंह ने ललिता देवी मंदिर व चक्रतीर्थ में भीड़ न लगने के निर्देश पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिये थे। ललिता देवी मंदिर के दक्षिणी प्रवेश द्वार पर मशीन लगाई गई है, जिससे प्रवेश दिया जा रहा है। श्रद्धालुओं की थर्मल स्क्रीनिग भी की जा रही है। जबकि पूर्वी प्रवेश द्वार को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है। कोतवाली प्रभारी विनोद कुमार मिश्रा ने बताया कि कोरोना को लेकर जो निर्देश मिले हैं उसका पालन कराया जा रहा है। ललिता देवी मंदिर, चक्रतीर्थ पर चप्पे-चप्पे पर पीएसी बल व पुलिस तैनात की गई है। श्रद्धालुओं को पांच-पांच की संख्या में चक्र तीर्थ में स्नान व ललिता देवी मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी गई है। इन दोनों स्थानों पर जनता को जागरूक करने के लिए एवं कोरोना से बचाव के उपायों को लाउडस्पीकर के माध्यम से प्रसारित किया जा रहा। साथ ही मंदिर व चक्रतीर्थ प्रवेश मार्ग चार पहिया वाहनों के प्रवेश को पूर्णतया वर्जित कर दिया गया है।