जीव को निष्काम कर्म करना चाहिए

भागवत कथा का शुभारंभ।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 May 2019 10:50 PM (IST) Updated:Sat, 25 May 2019 06:24 AM (IST)
जीव को निष्काम कर्म करना चाहिए
जीव को निष्काम कर्म करना चाहिए

सीतापुर : राजस्थानी बैंक्विट हॉल में सात दिवसीय भागवत कथा का शुभारंभ शुक्रवार को हुआ। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अभयानंद सरस्वती के कृपा पात्र शिष्य स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती ने भागवत पुराण पर चर्चा की। व्यास ने कहा कि जीव को निष्काम कर्म करना चाहिए। गीता में भगवान कृष्ण ने निष्काम कर्म पर जोर देकर महत्व बताया है। सनातन धर्म के मूल ग्रंथ हमारे वेद हैं, जिसमें एक लाख मंत्रों का वर्णन है। इसमें 80 हजार मंत्रों में कर्म के महत्व को परिभाषित किया गया है। कर्म ही जीवन का सार है। चार हजार मंत्रों में ब्रह्रमसूत्र, 16 हजार मंत्रों में उपासना के विषय में बताया गया है। इससे पूर्व डॉ. रामजी दास टंडन, अवधेश वर्मा आदि व्यास पीठ का पारंपरिक पूजन किया।

अहंकार का त्याग करो

संदना : डगरहा धाम में चल रही विष्णु महायज्ञ में प्रवचन करते हुए हरिद्वार के अजय शास्त्री ने कहा कि अहंकार मानव का सबसे बड़ा दुश्मन है। अहंकार से बचना चाहिए। प्रेम ही परमात्मा को पाने का साधन है। भगवान कृष्ण प्रेम के आदर्श हैं। गोपिकाएं प्रेम रूपी भक्ति की पर्याय हैं। प्रेम ही भक्ति का दूसरा पहलू है। राम सेवक अनुरागी ने भी विभिन्न प्रसंग सुनाए।

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