फसल समेत नदी में कटकर समा रहे खेत, बेबस किसान
सीतापुर कटान रोधी कार्यों से मेउड़ी छोलहा श्रीरामपुरवा जटपुरवा व धूस बच गया इसमें श
सीतापुर : कटान रोधी कार्यों से मेउड़ी छोलहा, श्रीरामपुरवा, जटपुरवा व धूस बच गया, इसमें शक नहीं है लेकिन, फसल समेत खेत कटकर नदी में बहे जा रहे हैं। किसान बेबस हैं। नदी खेतों को काटते-काटते बड़ा गोलाकार का आकार ले लिया है। ग्रामीणों का कहना है कि गनीमत है कि उनके पास राशन कार्ड है, अन्यथा वे लोग भूखों में मर जाते। श्रीरामपुरवा गांव में 24 घंटे में नदी ने 30 बीघे खेत काट दिया है। इसमें धान, मक्का की फसलें थीं। नदी खेतों की तरफ तेज गति से बढ़ रही है। चूंकि घाघरा-शारदा का जल स्तर कम हो रहा है इसलिए कटान की गति तेज है। कुछ दिन पहले मेउड़ी छोलहा में चार घर और पंचायत भवन कटकर नदी में बह चुका है। बेघर 80 परिवार गांव के बाहर झोपड़-पट्टी में रह रहे हैं।
कटान पीड़ितों का दर्द..
अनवर, आशिक, शरीफ, मोहम्मद व उनके परिवार बेघर हो चुके हैं। ये परिवार स्कूल में शरण लिए हैं। प्रधानाध्यापक नबीउल्ला ने बताया, प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय में बाढ़-कटान पीड़ित रह रहे हैं। स्कूल की बाउंड्री नदी की जद में आ गई है। करीब एक मीटर नदी स्कूल बाउंड्री से दूर है। स्कूल के बरामदा में चारपाई पर बैठे बुजुर्ग आशिक ने बताया, वे तीन भाई हैं। तीनों भाई पक्षाघात से पीड़ित हैं। मुहम्मद शरीफ व अशफाक बताते हैं उनकी 14 बीघा खेती कटकर नदी में बह गई। धान की फसल थी। दो बीघे में मक्का व उड़द फसल थी।
घर-खेती सब नदी में कट गया
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हमारा 50 लोगों का परिवार है। 24 बीघे खेती थी। नदी के कटान में चली गई। घर भी कट गया। बुजुर्ग आशिक ने कहा, राशन कार्ड है तो भूखे नहीं रहते हैं।
- आशिक, मेउड़ी छोलहा
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पिछले साल की बाढ़-कटान में घर और 40 बीघे खेती कटकर नदी में चली गई थी। शेष 20 बीघे खेती इस बार चली गई। किशोरगंज मार्ग पर झोपड़ी में रहने को विवश हैं।
- रामऔतार, मेउड़ी छोलहा
वर्जन-
आबादी के हिस्से में अब कटान नहीं हो रहा है। खेतों की तरफ नदी बढ़ रही है। दुर्गापुरवा में भी कटान हो रहा है। प्रभावित होने वाली कृषि भूमि व फसलों का सर्वे करा रहे हैं।
- अविचल प्रताप सिंह, तहसीलदार-बिसवां