सड़क पर किसान, आढ़ती के कब्जे में प्लेटफार्म

शहर गल्ला मंडी के प्लेटफार्म आढ़तियों के कब्जे में हैं। किसानों का गल्ला बाहर सड़क पर पड़ा बारिश में भीग रहा है। जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते मंडी में व्यापारियों की मनमर्जी है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 10:25 PM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 10:25 PM (IST)
सड़क पर किसान, आढ़ती के कब्जे में प्लेटफार्म
सड़क पर किसान, आढ़ती के कब्जे में प्लेटफार्म

सीतापुर : शहर गल्ला मंडी के प्लेटफार्म आढ़तियों के कब्जे में हैं। किसानों का गल्ला बाहर सड़क पर पड़ा बारिश में भीग रहा है। जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते मंडी में व्यापारियों की मनमर्जी है। रविवार को बारिश में कई किसानों का धान मंडी में भीग गया। बनवारी लाल की आढ़त के सामने सड़क पर पड़ा महमूदाबाद के साहू का धान पल्लेदार सुखा रहे थे। मंडी में एक हजार से 1300 रुपये प्रति क्विंटल धान का भाव है। किसान को वाजिब दाम मिल रहा है न ही गल्ला रखने को प्लेटफार्म। मंडी में हर रोज छह से सात हजार क्विटल धान आ रहा है।

क्या है ई-नाम पोर्टल

उपज का वाजिब मूल्य किसान को मिले। उसके उपज की बिक्री में प्रतिस्पर्धा हो, इसके लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना (ई-नाम पोर्टल) है। मंडी समिति कार्यालय से पता चला है नवीन गल्ला मंडी में प्लेटफार्म नंबर-एक ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार के तहत किसानों के लिए आवंटित है, जहां आढ़तियों का कब्जा है। वर्तमान में महमूदाबाद व सीतापुर मंडी के 29 किसानों के गल्ले की ढेरियां के नमूनों का विवरण ई-नाम पोर्टल पर आनलाइन हैं।

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दोपहर ढाई बजे नवीन गल्ला मंडी के प्लेटफार्म नंबर-एक के बाहर रेउसा के बदौउरा गांव के जग्गा सिंह का धान तौला जा रहा था। पूछने पर जग्गा सिंह ने बताया, उनका 60 बोरा धान 1050 के भाव में और 80 बोरा धान 1150 रुपये प्रति क्विंटल के भाव में बिका है। ई-नाम पोर्टल के बारे में कहा, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार के बारे में बताने पर जग्गा सिंह ने कहा, मंडी के लोगों को चाहिए वह इसके बारे में आने वाले किसानों को बताएं तो कुछ लाभ मिले। जग्गा बोले, यहां मंडी में तो व्यापारी लूट रहे हैं। रेउसा के सचिन ट्राली में 80 क्विंटल धान लाए थे। दोपहर तक खड़े रहे। धान नहीं बिका है। ई-नाम के बारे में सचिन भी नहीं जानते। इनकी सुनिए..

मंडी परिसर में सुखाने के लिए किसान सड़क पर धान फैला देते हैं। प्लेटफार्म से कब्जे हटवाए जाएंगे। एक नवंबर से धान क्रय केंद्र चालू हो रहे हैं। समस्या खत्म हो जाएगी।

-देवेंद्र प्रताप सिंह, सचिव-मंडी

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