फास्टैग से रुपये कट रहे और नकद भी वसूल रहे
जिम्मेदारों की अनदेखी से वाहन चालकों को हो रही परेशानी
सीतापुर : सीतापुर से लखनऊ की यात्रा के दौरान अब टोल पर फास्टैग अनिवार्य हो गया है। काफी हद तक लोगों ने इसे अपने वाहनों पर लगवा भी लिया है। इसके बावजूद परेशानी थमने का नाम नहीं ले रही है। हैरानी की बात है कि टोल प्लाजा पर कर्मचारी और अन्य व्यवस्थाएं होने के बाद भी लोगों की मदद नहीं कर रहे हैं।
डीसी मिश्र बताते हैं कि बीती 24 फरवरी को वह अपनी कार से लखनऊ गए थे। खैराबाद टोल पर वह फास्टैग के जरिये क्रास हो गए। इसके बाद इटौंजा टोल पर फास्टैग रीड नहीं कर रहा था। उन्होंने मदद मांगी। बकौल, डीसी मिश्र टोल बूथ वाले कर्मचारी ने उनकी मदद के बजाय बैलेंस कम होने की बात बता दी। उन्होंने अपने मोबाइल पर बैलेंस दिखाना भी चाहा लेकिन, कोई कुछ सुनने को तैयार नहीं था। यही वजह थी कि उन्हें आवश्यक कार्य पर जाने के लिए इटौंजा टोल पर दोगुना टोल भरना पड़ा। इससे उन्हें 90 रुपये भी देने पड़ गए। इसके बाद जैसे ही उन्होंने टोल बैरियर क्रॉस किया, उनके मोबाइल पर फास्टैग से बैलेंस कटने का संदेश भी आ गया। बता दें कि फास्टैग रीड करने में दिक्कत की स्थिति में हैंड हेल्ड मशीन से फास्टैग रीड कराने की व्यवस्था है लेकिन, टोल पर कर्मियों ने ऐसा नहीं किया।
अब भी लग रही लाइन
फास्टैग व्यवस्था के बावजूद भी टोल पर लाइन लग रही है। काफी गाड़ियों में अब भी फास्टैग नहीं लग सका है। इसका असर टोल पर जाइए तो नजर भी आता है। अब भी बूथों पर लोग फास्टैग बनवाने के लिए खड़े नजर आते हैं।
अब भी नहीं जानकारी
फास्टैग की अनिवार्यता के बीच अब भी तमाम लोग ऐसे हैं, जिन्हें इसकी जानकारी नहीं है। पिसावां के रामलखन दो मार्च को अपनी कार से लखनऊ जा रहे थे। वह टोल बूथ पर पहुंचे और वापसी की रसीद मांगने लगे। उन्हें टोल बूथ पर बैठे कर्मचारी ने यह बताया कि अब वापसी का टोल नहीं मिलता। फास्टैग न हो तो दोगुना भुगतान करना पड़ता है।
वर्जन
'हैंड हेल्ड मशीन से फास्टैग रीड कराने की व्यवस्था है। अगर नकद देने के बाद भी किसी की फास्टैग से धनराशि कट गई है तो वह अपनी शिकायत दर्ज करा दे, उसका कटा पैसा वापस आ जाएगा।'
- अंकेश श्रीवास्तव, टोल मैनेजर