जिला अस्पताल की पड़ताल, कुपोषित बच्चों के खान-पान का जाना हाल

जिला अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Mar 2021 12:18 AM (IST) Updated:Thu, 25 Mar 2021 12:18 AM (IST)
जिला अस्पताल की पड़ताल, कुपोषित बच्चों के खान-पान का जाना हाल
जिला अस्पताल की पड़ताल, कुपोषित बच्चों के खान-पान का जाना हाल

सीतापुर : स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह बुधवार दोपहर जिला अस्पताल पहुंचे। नए भवन में जाकर सिटी स्कैन व लैब का निरीक्षण किया। पोषण पुनर्वास केंद्र पहुंचकर भर्ती कुपोषित बच्चों के वजन, आयु और उनको दी जा रहीं दवाओं व भोजन के चार्ट का अवलोकन किया। नियमित भोजन करने की सलाह दी। इस दौरान उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए योजनाओं के बारे में रोगियों व तीमारदारों को बताया।

एनआरसी पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री ने बेड नंबर-सात पर भर्ती ऋषभ की मां से पूछा कि वह कितने दिन से अस्पताल में है। एनआरसी प्रभारी डॉ. आफाक से बच्चे का वजन, आयु और भर्ती अवधि के दौरान वजन में वृद्धि पूछी। बताया गया कि भर्ती के समय बच्चे का वजन नौ किग्रा था।

आप लोग प्रतिदिन चार्ट नहीं बनाते क्या..

बालक ऋषभ का वजन बताने में देर हुई तो उन्होंने सीएमएस और एनआरसी प्रभारी से सीधा सवाल किया कि क्या आप लोग प्रतिदिन चार्ट नहीं बनाते हैं। इसके बाद प्रभारी ने स्वास्थ्य मंत्री को चार्ट दिखाया। मंत्री ने बालक अनमोल के वजन और उसको दी जा रही खुराक के बारे में भी जाना। बच्ची माविया की मां को भरोसा दिलाते हुए कहा कि आप यहीं पर रहो बिटिया ठीक हो जाएगी।

नदारद कर्मियों के बारे में सीएमओ से लेंगे रिपोर्ट

गांजरी इलाके के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात कर्मियों के नदारद रहने के बारे में मंत्री का कहना था कि वह इस संबंध मे सीएमओ से रिपोर्ट लेंगे। स्वास्थ्य केद्रों पर जिन डॉक्टरों या कर्मियों की ड्यूटी दिन या फिर में लगी है उसे अस्पताल में हर हाल में रहना ही होगा। यदि वह गैर हाजिर मिलता है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई होगी। मानक के अनुरूप नहीं ट्रामा सेंटर की बिल्डिग : मंत्री जिला अस्पताल से पांच किमी दूर ट्रामा सेंटर नाम पर एक बिल्डिग बनी है। वैसे सामान्यत: ट्रामा सेंटर हाईवे के पास होना चाहिए। 100-150 किमी पर एक ट्रामा सेंटर बनाने का नियम है। अब किन परिस्थितियों में ट्रामा सेंटर के नाम पर बिल्डिग जमैयतपुर में बन गई। यह बाद की बात है, पर हम देखेंगे कि उसे किस तरह से उपयोग में लिया जा सकता है।

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