गोशाला निर्माण अधूरा, बेसहारा गोवंशों को नहीं मिल रहा सहारा

दो गोशालाओं का निर्माण अधूरा खेतों में भटक रहे गोवंश

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Jul 2021 12:10 AM (IST) Updated:Sat, 17 Jul 2021 12:10 AM (IST)
गोशाला निर्माण अधूरा, बेसहारा गोवंशों को नहीं मिल रहा सहारा
गोशाला निर्माण अधूरा, बेसहारा गोवंशों को नहीं मिल रहा सहारा

पिसावां (सीतापुर) : ब्लाक की पिपरी-शादीपुर और कारीपाकर गोशाला का निर्माण अधर में अटका है। बेसहारा गोवंश खेतों और गांवों में घूम रहे हैं। किसान परेशान हैं और जानवरों को भी संरक्षण नहीं मिल रहा, वहीं कपसा गांव की गोशाला में भी निर्माण जारी है। हालांकि इस गोशाला में कुछ दिन पूर्व पांच जानवर संरक्षित भी किए गए हैं। अभी व्यवस्थाएं अधूरी हैं। लंबे समय से निर्माणाधीन गोशालाओं का काम पूरा न होने का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।

एक वर्ष से अधूरी है पिपरी-शादीपुर गोशाला

पिपरी-शादीपुर गोशाला का निर्माण करीब एक वर्ष पहले शुरू हुआ था। गोशाला में महज एक टिनशेड ही बन सका। बाउंड्री व पेयजल के इंतजाम भी नहीं किए गए। काम ठप है और पंचायत सचिव जल्द संचालन का दावा कर रहे हैं। कारीपाकर गोशाला में भी निर्माण जारी है।

संचालित है चंद्रा की गोशाला

पिसावां ब्लाक इलाके की चंद्रा गोशाला संचालित है। 50 की क्षमता वाली गोशाला में 98 गोवंश संरक्षित किए गए हैं। पंचायत सचिव विवेक कुमार ने बताया जानवरों की अधिक संख्या को देख, एक अन्य टिनशेड का निर्माण कराया जा रहा है। पशुओं की देखरेख में तीन मजदूर लगे हैं। पशुओं को भूसा व दाना दिया जा रहा है।

इन गांवों में अधिक है बेसहारा गोवंशों की संख्या

इलाके के ससुर्दीपुर, गुरसंडा, नेवदिया, मूडाकला, बरगांवा व पिसावां आदि गांवों में बेसहारा पशुओं की संख्या अधिक है। जानवर गांव खेतों में भटकते रहते हैं। किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ग्रामीणों की तमाम शिकायतों के बाद भी गोवंशों को संरक्षित नहीं किया जा रहा। पिसावां निवासी मक्का दीक्षित, आनंद सिंह व विनय ने बताया कि उन्हें पूरा समय खेतों में ही बिताना पड़ रहा है। जरा सा चूकते ही जानवर फसल चट कर जाते हैं।

जल्द पूरा होगा निर्माण, संरक्षित होंगे गोवंश : बीडीओ

बीडीओ अजीत कुमार यादव ने बताया कि कारीपाकर, पिपरी-शादीपुर व कपसा गांव में गोशाला निर्माण हो रहा है। तीनों गोशालाओं में कुछ काम शेष है। जल्द ही काम पूरा करा दिया जाएगा। पशुओं के लिए हरे चारे की बुआई भी कराई गई है। बहादुरनगर, पकरिया-पुरैना, नेरी, पाताबोझ व गौरा गांव में गोशाला निर्माण का चिह्नीकरण किया गया है।

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