बच्चों को सिखाया संस्कृत का ककहरा

ष्टद्धद्बद्यस्त्रह्मद्गठ्ठ ह्लड्डह्वद्दद्धह्ल ह्यड्डठ्ठह्यद्मह्मद्बह्ल ष्टद्धद्बद्यस्त्रह्मद्गठ्ठ ह्लड्डह्वद्दद्धह्ल ह्यड्डठ्ठह्यद्मह्मद्बह्ल ष्टद्धद्बद्यस्त्रह्मद्गठ्ठ ह्लड्डह्वद्दद्धह्ल ह्यड्डठ्ठह्यद्मह्मद्बह्ल ष्टद्धद्बद्यस्त्रह्मद्गठ्ठ ह्लड्डह्वद्दद्धह्ल ह्यड्डठ्ठह्यद्मह्मद्बह्ल ष्टद्धद्बद्यस्त्रह्मद्गठ्ठ ह्लड्डह्वद्दद्धह्ल ह्यड्डठ्ठह्यद्मह्मद्बह्ल

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Apr 2019 11:36 PM (IST) Updated:Mon, 22 Apr 2019 11:36 PM (IST)
बच्चों को सिखाया संस्कृत का ककहरा
बच्चों को सिखाया संस्कृत का ककहरा

सीतापुर : भवत्या: नाम किम्..भवत: नाम किम्..भवान क:..मम् नाम..विद्यालय नाम..सुधाखंड:..आदि-आदि..। कुछ इस तरह के शब्दों से बच्चों को बोलचाल में संस्कृत का ककहरा पिछले तीन दिनों से पढ़ाया जा रहा था। अंतिम तीसरे दिन सोमवार को इस कार्यक्रम का समापन किया गया है। दरअसल, संस्कृत भारती बच्चों के बीच संस्कृत भाषा का बढ़ावा देने के लिए शहर के सिविल लाइन मुहल्ले के सरस्वती शिशु मंदिर में कार्यक्रम आयोजित किया था। इसमें शिक्षक सुधाकर तिवारी, लल्लन बाबू मौर्य बच्चों के बीच संस्कृत भाषा में धारा प्रवाह बोल रहे थे। बोलचाल के शब्दों को संस्कृत में बोलना सिखा रहे थे। समापन अवसर पर मुख्य वक्ता संस्कृत भारती के अवधप्रांत के मंत्री डॉ. ओंकार नारायण दुबे ने कहा, संस्कृत साहित्य में ही समाहित है और आज हमें इस देश को एक सूत्र में बांधने के लिए संस्कृत पढ़ना अति आवश्यक है। कहा, भारत माता के पुत्रों ने संघर्ष करके आंग्लीय लोगों को भगा दिया पर, पाश्चात्य संस्कृति में लिप्त लोगों ने भारत माता का श्रृंगार नहीं होने दिया। इससे भारतीय सभ्यता एवं भारतीय संस्कृति प्रभावित हुई है और हम सभी जब तक संस्कृत भाषा नहीं पढ़ेंगे तब तक भारत की सभ्यता और संस्कृति से परिचित नहीं हो सकते। इस अवसर पर डॉ. शिवमूर्ति लाल मिश्र, शैलेंद्र सिंह चौहान, अरुणेश मिश्र और बच्चे मौजूद थे। कार्यक्रम में बच्चो नें संस्कृत में अपना परिचय, गीत एवं अनुभव की प्रस्तुति दी।

chat bot
आपका साथी