13 साल में ही अंशु ने रखा था जरायम की दुनिया में कदम

चित्रकूट जिला जेल में दो पक्षों में हुए गैंगवार में पुलिस की गोली से मारे गए अंशु दीक्षित की लंबी कहानी है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 10:17 PM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 10:17 PM (IST)
13 साल में ही अंशु ने रखा था जरायम की दुनिया में कदम
13 साल में ही अंशु ने रखा था जरायम की दुनिया में कदम

सीतापुर : चित्रकूट जिला जेल में दो पक्षों में हुए गैंगवार में पुलिस की गोली से मारे गए अंशु दीक्षित की लंबी कहानी है। उसने 13 साल की आयु में ही जरायम की दुनिया में कदम रख दिया था। लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के महामंत्री विनोद त्रिपाठी की हत्या में अंशु का नाम सामने आया था। इसके विरुद्ध पहला मुकदमा वर्ष 2007 में लखनऊ के गोमती नगर थाने में दर्ज हुआ था। इसके बाद अंशु की गिरफ्तारी के लिए लखनऊ और सीतापुर पुलिस लगातार दबिश दे रही थी। इसी बीच अंशु ने लखनऊ कोर्ट में समर्पण कर दिया था। इसके बाद से वह 14 साल से जेल में ही था। अपराधों के कारण मुकदमे में धाराएं बढ़ती रहीं और निरुद्ध अंशु दीक्षित का विभिन्न जेलों में स्थानातरण होता रहा।

सीतापुर पुलिस अंशु दीक्षित के बारे में शुक्रवार दोपहर तक संपर्कियों से पड़ताल करने की कोशिश करती रही। शहर कोतवाली पुलिस को आख अस्पताल में अंशु दीक्षित की चाची किरन दीक्षित से मुलाकात हुई। पुलिस सूत्रों के मुताबिक अंशु की चाची किरन ने परिवार की कई अहम बातें बताई। किरन ने बताया कि अंशु के पिता जगदीश दीक्षित व दो भाई और बहन निर्मला थी। जगदीश अपने छोटे भाई अमरीश दीक्षित के बड़े थे। जगदीश, अमरीश, बहन निर्मला ये सभी लोग सीतापुर आख अस्पताल में स्टाफ नर्स अपनी मा लीला दीक्षित के सरकारी आवास में रहते थे। स्टाफ नर्स लीला दीक्षित की मौत के बाद मृतक आश्रित में अमरीश दीक्षित को नौकरी मिली थी। कुछ समय बाद अमरीश दीक्षित की भी मौत हो गई और उनकी जगह अब उनकी पत्नी किरन दीक्षित मृतक आश्रित में आज भी आख अस्पताल में सíवस कर रही हैं। किरन दीक्षित ने पुलिस को बताया, वर्ष 2007 में एक जनप्रतिनिधि के बेटों और कुछ अन्य लोगों के बीच गोली चली थी। इसके बाद से अंशु दीक्षित लापता हो गया था। उस बीच में करीब 12-13 साल का था। इसी दौरान लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता की हत्या में उसका नाम सामने आया था। मानपुर के ओलारा बन्नी गाव का मूल निवासी था अंशु दीक्षित किरन दीक्षित से पुलिस को पता चला है कि वर्ष 2007 की घटना के बाद से अंशु दीक्षित जरायम की दुनिया में निकल गया था। इधर उसके मा-बाप, बहन, भाई सब कहा चले गए। किसी को नहीं पता है। अंशु की चाची ने बताया कि उनका परिवार मूलत: मानपुर थाना क्षेत्र के ओलरा बन्नी गाव का रहने वाला है, पर अब गाव में उन लोगों का कुछ भी शेष नहीं बचा है। 2007 के बाद से जेल से बाहर नहीं आया था अंशु पुलिस के मुताबिक चित्रकूट पुलिस मुठभेड़ में मारा गया अंशु दीक्षित वर्ष 2007 से जेल से बाहर नहीं आया था। वह वर्ष 2013-14 में पेशी से लौटने के दौरान पुलिस कस्टडी से निकल भागा था तो पुलिस ने सीतापुर जीआरपी में उसके विरुद्ध मुकदमा भी लिखाया था। हालाकि उसके बाद फरार अंशु पुलिस को मिल भी गया था।

chat bot
आपका साथी