करोड़ों खर्च कर बने सचिवालयों के कब बहुरेंगे दिन
पंचायत भवन के दिन तो बहुरने वाले हैं मगर करोड़ों खर्च कर बने सचिवालय के दिन कब बहुरेंगे इसकी लोग आस लगाए हुए हैं। खेसरहा विकास क्षेत्र में कुल 29 सचिवालय का निर्माण तो कराया गया है पर सभी लावारिस पड़े हैं।
सिद्धार्थनगर : पंचायत भवन के दिन तो बहुरने वाले हैं, मगर करोड़ों खर्च कर बने सचिवालय के दिन कब बहुरेंगे इसकी लोग आस लगाए हुए हैं। खेसरहा विकास क्षेत्र में कुल 29 सचिवालय का निर्माण तो कराया गया है पर सभी लावारिस पड़े हैं। बिना संचालन कई सचिवालय जर्जर स्थिति में पहुंच चुके हैं। कई के दरवाजे खिड़की तक गायब हैं। लोगों का कहना है कि जब इसे संचालित नहीं करना था तो इतनी भारी भरकम धनराशि खर्च कर इन्हें बनवाया ही क्यों गया।
गांधी के सपनों का संसद कहे जाने वाले इस भवन के निर्माण के समय शासन की मंशा थी कि यहां सचिव बैठकर ग्राम पंचायत के सभी आवश्यक कार्यों को निपटाएंगे और छोटे छोटे काम के लिए ग्रामीणों को ब्लाक का चक्कर नहीं लगाना पडे़गा। साथ उनका समाधान यहीं हो जाएगा। लेकिन भवन के निर्माण के बाद से सभी सचिवालय ताले की जकड़ में हैं। अधिकांश भवन जर्जर हो गिरने के कगार पर पहुंच गये हैं। जिससे यहां बैठने को कौन कहें कोई इसके किनारे नहीं जाना चाहता।
सचिवालय - करहीबगही
विकास क्षेत्र के ग्राम पंचायत करहीबगही में सचिवालय भवन का निर्माण वर्ष-2011 में 11 लाख की लागत से हुआ था। देखरेख के अभाव में इसके खिड़की, दरवाजे तक का कोई पता नहीं है।
सचिवालय - केशवार
यहां सचिवालय भवन का निर्माण वर्ष-2007-08 में करीब तेरह लाख की लागत से हुआ था। मरम्मत व रख रखाव के कारण दीवार व छत फट गई व ढहने के कगार पर है।
सचिवालय - महुआ
महुआ में वर्ष 2010-11 में यह चौदह लाख की लागत से बना था। फर्श टूट चुकी है। विद्युत आपूर्ति का पता नहीं है, साथ ही ग्रामीणों का कबाड़ खाना बना हुआ है।
एडीओ पंचायत महमूद अली ने कहा कि विकास क्षेत्र में जो सचिवालय जर्जर हो गये हैं, उनका निरीक्षण कर सूची बनाई जा रही है। चौदहवें राज्य वित्त के धन से जल्द ही सभी का मरम्मत कार्य किया जायेगा।