गांव जाने के लिए नाव ही सहारा

छगडिहवा घाट पर अर्से से पुल निर्माण की मांग की जाती रही है जो अब तक पूरी नहीं हो सकी है। घाट के पास राप्ती नदी के कारण सिद्धार्थनगर व बलरामपुर जनपद सीमा के दर्जनों गांवों के लोगों के लिए नाव ही सहारा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 06:58 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 06:58 PM (IST)
गांव जाने के लिए नाव ही सहारा
गांव जाने के लिए नाव ही सहारा

सिद्धार्थनगर : छगडिहवा घाट पर अर्से से पुल निर्माण की मांग की जाती रही है, जो अब तक पूरी नहीं हो सकी है। घाट के पास राप्ती नदी के कारण सिद्धार्थनगर व बलरामपुर जनपद सीमा के दर्जनों गांवों के लोगों के लिए नाव ही सहारा है।

सिद्धार्थनगर के बेलभरिया, बसन्तपुर व बलरामपुर जिले के पिपरिहवा, मोथीव, सेमरहवा के ग्रामीणों को मुसीबत झेलनी पड़ती है। गनेशपुर, पचपेड़वा आदि जगहों पर जाने के लिए अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। यदि पुल का निर्माण हो जाए तो दर्जनों गांवों बिस्कोहर, इटवा क्षेत्र से जुड़ जाएंगे। कल्लू, बाबू लाल, रिजवान, मनोज कुमार, सुमिरन गिरी, श्याम बिहारी, श्याम सुंदर, राजू, दिनेश, जफरे आलम आदि का कहना है कि पुल बन जाए तो 20 किमी दूरी मात्र दो-तीन किमी दूरी में बदल जाएगी। यदि नदी पार करके सफर करना हो तो लोगों को नाव पर बैठकर जाना पड़ता है। बरसात के मौसम में यह व्यवस्था रहती है तो मार्च से जून तक लकड़ी के पुल का सहारा लेना पड़ता है। एसडीएम उत्कर्ष श्रीवास्तव ने कहा कि इस समस्या को दूर करने के लिए संबंधित विभाग और शासन तक पत्राचार किया जाएगा।

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