जलभराव से सड़ जाती है दो सौ बीघा फसल

किसानों की आय कृषि कार्य पर ही टिकी होती है। लेकिन जब खेत ही किसानों के बर्बादी की दास्तां लिखते हों तो अन्नदाता का हाल बखूबी समझा जा सकता है। भनवापुर ब्लाक के पांच गांव के किसानों के लगभग 200 बीघे खेत की फसल हर सीजन में जलभराव के कारण सड़ गल जाती है। कारण भूमि का तल काफी नीचा है और हल्की बारिश में भी यह तालाब का रूप धारण कर लेते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 10:52 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 10:52 PM (IST)
जलभराव से सड़ जाती है दो सौ बीघा फसल
जलभराव से सड़ जाती है दो सौ बीघा फसल

डुमरियागंज : किसानों की आय कृषि कार्य पर ही टिकी होती है। लेकिन जब खेत ही किसानों के बर्बादी की दास्तां लिखते हों तो अन्नदाता का हाल बखूबी समझा जा सकता है। भनवापुर ब्लाक के पांच गांव के किसानों के लगभग 200 बीघे खेत की फसल हर सीजन में जलभराव के कारण सड़ गल जाती है। कारण भूमि का तल काफी नीचा है और हल्की बारिश में भी यह तालाब का रूप धारण कर लेते हैं। इन खेतों में बोई गई फसल प्रारंभिक दौर में ही सड़ गल जाती है और किसान अपनी किस्मत को कोसते रह जाते हैं।डुमरियागंज तहसील क्षेत्र में कृषि विभाग की उदासीनता किसानों पर भारी पड़ रही है। क्योंकि यहां भूमि सुधार जैसे जरूरी कार्य वर्षों से नहीं हुए। पेड़रा, टड़िया, हरनाखुरी, चैनिया और अंदुआ के किसानों के हाथ रबी के सीजन में दो- दो बार बोआई करने पर भी खाली रहे। यहां के अधिकतर किसानों के भूमि का तल काफी नीचा है जिसमें अधिकतर समय जलभराव के हालात रहते हैं। गेहूं की बोआई के समय किसानों ने बैंक ऋण लेकर बीज बोया, लेकिन बारिश ने मेहनत पर पानी फेर दिया। पानी घटने के बाद कुछ किसानों ने दोबारा हिम्मत करके बीज डाले, लेकिन फिर वही दास्तान दोहराई गई। अब धान के सीजन में भी यहां के किसान हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं क्योंकि इनके खेत पूरी तरह जलमग्न हैं। जिनके खेतों का तल सामान्य है वह जहां रोपाई की तैयारी में हैं वहीं अधिकतर किसान इस चिता में हैं कि कहीं रोपाई के बाद उनकी मेहनत बर्बाद न हो जाए।

बृजकिशोर और राम औतार का कहना है कि उक्त गांव में अधिकतर छोटे किसान हैं। बैंक से केसीसी लोन लेकर खेती करते हैं, लेकिन खेतों में जलभराव के चलते हाथ कुछ नहीं आता और बैंक का कर्ज चुकाने में समस्या होती है। पलटू और कुलदीप कहते हैं कि कृषि विभाग की उपेक्षा का खामियाजा यहां के किसान भुगत रहे हैं। वर्षों से फसल बर्बाद हो रही है, लेकिन विभाग से क्षतिपूर्ति नहीं प्राप्त होता है। जिला कृषि अधिकारी सीपी सिंह का कहना है कि किसान फसल बीमा कराएं तो नुकसान की भरपाई हो सकती है। साथ ही भूमि सुधार के लिए आवेदन करके आवश्यक मदद प्राप्त कर सकते हैं। संपर्क मार्गों पर जलजमाव, परेशानी डुमरियागंज: पूर्वांचल निधि से बनी सड़कों का बुरा हाल है। मार्ग तो जर्जर थे ही अब बारिश के बाद जलजमाव हो चुका है, जिससे राहगीर सांसत में हैं। शिकायत के बाद भी समस्या से उबारने की दिशा में जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे जिससे समस्या यथावत बनी हुई है।

धोबहा-सुहेलवा मार्ग का निर्माण वर्ष 2008 में पूर्व विस अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने पूर्वांचल निधि से कराया था। मार्ग निर्माण के बाद आधा दर्जन गांव के लोगों को आवागमन में सुविधा मिली थी। विगत दो वर्ष से मार्ग पूरी तरह से जर्जर है जिससे लोगों को आवागमन में दुश्वारियां झेलनी पड़ती हैं। इसी तरह मानादेई में जलनिकासी की समस्या है। मार्ग पर बारिश के बाद पानी भर गया है। गंदे पानी में फिसलकर साइकिल व बाइक सवार चोटहिल हो रहे हैं। प्रशांत पाठक, आकाश, बलराम, साकेत आदि ने कहा कि समस्या निस्तारण के लिए जिम्मेदारों को प्रार्थनापत्र दिया गया, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। मानादेई के प्रधान महेश ने कहा कि सदस्यों का पद रिक्त था, जिससे वह शपथ नहीं ले सके। शपथ लेने के बाद पहला काम नालियों का निर्माण व सड़क मरम्मत का होगा। संपर्क मार्गों पर जलजमाव, परेशानी डुमरियागंज: पूर्वांचल निधि से बनी सड़कों का बुरा हाल है। मार्ग तो जर्जर थे ही अब बारिश के बाद जलजमाव हो चुका है, जिससे राहगीर सांसत में हैं। शिकायत के बाद भी समस्या से उबारने की दिशा में जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे जिससे समस्या यथावत बनी हुई है।

धोबहा-सुहेलवा मार्ग का निर्माण वर्ष 2008 में पूर्व विस अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने पूर्वांचल निधि से कराया था। मार्ग निर्माण के बाद आधा दर्जन गांव के लोगों को आवागमन में सुविधा मिली थी। विगत दो वर्ष से मार्ग पूरी तरह से जर्जर है जिससे लोगों को आवागमन में दुश्वारियां झेलनी पड़ती हैं। इसी तरह मानादेई में जलनिकासी की समस्या है। मार्ग पर बारिश के बाद पानी भर गया है। गंदे पानी में फिसलकर साइकिल व बाइक सवार चोटहिल हो रहे हैं। प्रशांत पाठक, आकाश, बलराम, साकेत आदि ने कहा कि समस्या निस्तारण के लिए जिम्मेदारों को प्रार्थनापत्र दिया गया, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। मानादेई के प्रधान महेश ने कहा कि सदस्यों का पद रिक्त था, जिससे वह शपथ नहीं ले सके। शपथ लेने के बाद पहला काम नालियों का निर्माण व सड़क मरम्मत का होगा।

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