दो सगे भाई प्रधान तो पत्नी बनी निर्विरोध बीडीसी

जिला पंचायत की बोर्ड का गठन हो गया है। इस मिलीजुली सरकार में 16 सदस्यों ने स्नातक व उससे ऊपर की शिक्षा प्राप्त की है। छह सदस्य ने इंटर व तीन ने हाईस्कूल पास किया है। 14 सदस्य ने प्राथमिक स्तर की शिक्षा ग्रहण की है तो छह सदस्य कभी स्कूल नहीं गए।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 11:06 PM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 11:06 PM (IST)
दो सगे भाई प्रधान तो पत्नी बनी निर्विरोध बीडीसी
दो सगे भाई प्रधान तो पत्नी बनी निर्विरोध बीडीसी

सिद्धार्थनगर : खुनियांव ब्लाक के निवर्तमान ब्लाक प्रमुख मनोज मौर्य ने इस बार के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अपना दबदबा दिखाया। इनके दो सगे भाई जहां प्रधान चुने गए, वहीं इनकी पत्नी निर्विरोध क्षेत्र पंचायत सदस्य चुनी गईं। इन परिणामों से साबित हुआ कि इनकी लोकप्रियता पहले अधिक बढ़ी है।

धोबहा एहतमाली निवासी मनोज मौर्य भाजपा सरकार बनने के बाद खुनियांव ब्लाक के प्रमुख चुने गए। इस बार प्रमुख सीट सामान्य महिला आरक्षित होने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी विद्यावती मौर्य का बीडीसी के लिए नामांकन लटेरा गांव से कराया, जहां उनका निर्वाचन निर्विरोध हुआ। इनके छोटे भाई पवन मौर्य ने अपनी गांव प्रधान पद पर किस्मत आजमाई और जीत हासिल की। इनके बड़े भाई विजय मौर्य ग्राम पंचायत लक्ष्मणपुर उर्फ बल्लीजोत में निवास करते हैं, जहां से वह प्रधानी पद पर चुनाव लड़े और प्रतिद्वंदी को पराजित करते हुए विजय प्राप्त की। पंचायत चुनाव में इस सफलता की क्षेत्र में काफी चर्चा है। निवर्तमान प्रमुख होने के कारण मनोज की पत्नी इस बार ब्लाक प्रमुख की मजबूत दावेदारों में एक मानी जा रही हैं।

सात परास्नातक व नौ जिपं सदस्य स्नातक

जिला पंचायत की बोर्ड का गठन हो गया है। इस मिलीजुली सरकार में 16 सदस्यों ने स्नातक व उससे ऊपर की शिक्षा प्राप्त की है। छह सदस्य ने इंटर व तीन ने हाईस्कूल पास किया है। 14 सदस्य ने प्राथमिक स्तर की शिक्षा ग्रहण की है तो छह सदस्य कभी स्कूल नहीं गए।

जिला पंचायत सदस्य पद का नामांकन करते समय प्रत्याशियों ने अपनी शैक्षिक योग्यता भी बताई हैं। इनमें अधिकतर प्रत्याशी ने प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की है। इनमें तीन महिला भी शामिल हैं। राज्य चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड डाटा के अनुसार पांच महिला सदस्य ऐसी हैं, जिन्होंने नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर करने के बजाय अंगूठा लगाया है। अगर निरक्षर व प्राथमिक शिक्षा प्राप्त सदस्यों की संख्या आधी है। सदन में एक दर्जन से अधिक सदस्य शिक्षित की श्रेणी में आ रहे हैं। इनमें दो महिला समेत सात ने परास्नातक की डिग्री प्राप्त की है। तीन महिला समेत नौ के पास ने स्नातक तक की शिक्षा ली है।

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