फिर साल भर बाद ग़मे शाह आएगा, जिदा जो रहेगा

कस्बे में तमाम शोक कार्यक्रम आयोजित हुए। रात में अधिकांश घरों में ताजिये रखे गए। इसमें मनौती पूर्ण होने वाले बड़े ताजियों की संख्या अधिक रही। पूरी रात हुसैनी शैदाई ताजियों का दर्शन कर हुसैनी कारवां को अगले वर्ष तक के लिए अलविदा कहते नजर आए।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 11:29 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 11:29 PM (IST)
फिर साल भर बाद ग़मे शाह आएगा, जिदा जो रहेगा
फिर साल भर बाद ग़मे शाह आएगा, जिदा जो रहेगा

सिद्धार्थनगर : हल्लौर में सवा दो माह चले मोहर्रम यानी अय्याम-ए-अ•ा के अंतिम दिन यानी आठवीं रबी अव्वल शुक्रवार को इमाम हुसैन व शहीदे-ए-कर्बला की याद में मरसिया-मजलिस, नौहा-मातम के साथ अमारी, जुलजनाह, ताबूत अलम का जुलूस निकाला गया। गुरूवार की शाम से शुक्रवार को पूरा दिन हर तरफ नौहा कि फिर साल भर के बाद ग़मे शाह आएगा, जिदा जो रहेगा वही ये ग़म मनाएगा के साथ या हुसैन-या अली की सदाओं से वातावरण गुंजायमान रहा।

कस्बे में तमाम शोक कार्यक्रम आयोजित हुए। रात में अधिकांश घरों में ताजिये रखे गए। इसमें मनौती पूर्ण होने वाले बड़े ताजियों की संख्या अधिक रही। पूरी रात हुसैनी शैदाई ताजियों का दर्शन कर हुसैनी कारवां को अगले वर्ष तक के लिए अलविदा कहते नजर आए। सुबह अंजुमन फरोग मातम के बैनर तले जुलजनाह, ताबूत, अलम का जुलूस सफायत साहब मरहूम के इमाम बारगाह से निकला व अंजुमन गुलदस्ता मातम के बैनर तले अमारी, जुलजनाह के साथ जुलूस इलियास बाबा पूर्व सरपंच के परिसर से निकाला गया। नौहा-मातम करते लोग कस्बे में गश्त करते रहे। दोपहर को दोनों जुलूस देर तक डुमरियागंज -बस्ती मार्ग पर मातम करने के उपरांत अन्य हिस्सों से होता हुआ कर्बला की तरफ रवाना हुआ। इस बीच लोग अपने-अपने ताजिये को सिर पर उठाकर कस्बे के पश्चिम स्थित करबला ले गए और ताजिये को दफन किया। आसपास के इलाकों में रहने वाले शिया समुदाय के लोग बड़ी तादात में शोक कार्यक्रम में शामिल हुए। नायाब हैदर रिजवी, शब्बीर हसन, इसरार बाबा के इमामबाड़े आदि स्थानों पर बाहर से आए जायरीनों के लिए भोजन पानी की वृहद व्यवस्था की गई।

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