शस्त्र पूजन शोभायात्रा में उमड़ी भीड़

शोहरतगढ़ कस्बा में होने वाली शस्त्र पूजन की परंपरा ऐतिहासिक है। विजयादशमी पर शस्त्र पूजन की शोभायात्रा निकाली गई। रामजानकी मंदिर से निकली शोभायात्रा छतहरा तिराहा होते हुए कस्बे के प्रमुख सड़कों से होते हुए वापस मंदिर परिसर पहुंची। आरएसएस के पदाधिकारियों ने विधिविधान से हिदू पारंपरिक शस्त्रों की पूजा किया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 10:39 PM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 10:39 PM (IST)
शस्त्र पूजन शोभायात्रा में उमड़ी भीड़
शस्त्र पूजन शोभायात्रा में उमड़ी भीड़

सिद्धार्थनगर : शोहरतगढ़ कस्बा में होने वाली शस्त्र पूजन की परंपरा ऐतिहासिक है। विजयादशमी पर शस्त्र पूजन की शोभायात्रा निकाली गई। रामजानकी मंदिर से निकली शोभायात्रा छतहरा तिराहा होते हुए कस्बे के प्रमुख सड़कों से होते हुए वापस मंदिर परिसर पहुंची। आरएसएस के पदाधिकारियों ने विधिविधान से हिदू पारंपरिक शस्त्रों की पूजा किया। शोभायात्रा को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आए।

वर्ष 1954 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन जिला प्रचारक संकटा प्रसाद सिंह की अगुवाई में यह परंपरा शुरू हुई थी। इसमें पूर्व विधायक शिवलाल मित्तल, मोती नेता, रघुनाथ जायसवाल, त्रिवेणी मुनीम, रामलाल उमर, मोतीलाल पटवा व शिवशंकर उमर आदि ने शुरूआत में सहयोग प्रदान किया। शस्त्र पूजन शोभायात्रा के साथ पथ संचलन कार्यक्रम किया गया था। समाज की सुरक्षा के प्रति सचेत करने के लिए लोगों को सचेत किया। इस समय सिर्फ शिवशंकर उमर ही जीवित हैं। यह प्रदेश का संभवत इकलौता जनपद है। जहां पर विजयादशमी के दिन शस्त्र पूजन की शोभायात्रा निकाली जाती है। इसमें सभी वर्ग के लोग प्रतिभाग करते हैं। संघ के प्रांत कुटुंब प्रबोधन प्रमुख व सेवा भारती के प्रांतीय उपाध्यक्ष विष्णु गोयल ने कहा कि श्रीराम ने सीता का हरण करने वाले लंका नरेश रावण का वध इसी दिन किया था। मां दुर्गा ने महिषासुर के साथ दस दिनों तक संग्राम करने के बाद उसका विध किया। इन्हीं कारणों से इस दिन को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है। यह केवल त्योहार ही नहीं बल्कि शक्ति की सकल उपासना और समाहित शौर्य को नमन करने का पर्व है। सत्य पर असत्य की जीत को याद रखने और मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने के लिए सदैव तत्पर रहने की सीख भी देता है। संचालन किशोरी लाल व सौरभ गुप्ता ने किया।

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