वेद का सार शिव, शंकर व प्रलयंकर में समाहित: शंकराचार्य
गोवर्धनपीठ पुरी के पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने शनिवार को कहा कि शिव तत्व में सभी वेदों का सार निहित है। शिव के कई नाम हैं। इन्हें शंकर व प्रलयंकर भी कहते हैं। शिव में विश्व का कल्याण निहित है तो शंकर सौम्य स्वरूप को परिलक्षित करता है।
सिद्धार्थनगर: गोवर्धनपीठ पुरी के पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने शनिवार को कहा कि शिव तत्व में सभी वेदों का सार निहित है। शिव के कई नाम हैं। इन्हें शंकर व प्रलयंकर भी कहते हैं। शिव में विश्व का कल्याण निहित है तो शंकर सौम्य स्वरूप को परिलक्षित करता है। प्रलयंकर नैतिक आत्मबल को दर्शाता है। इन्हीं तीन शब्दों में वेद का सार है। शंकराचार्य शनिवार को गोरखपुर रोड स्थित थरोली के एक बैंक्वेट हाल आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे।
श्रोताओं की जिज्ञासा शांत करते हुए शंकराचार्य ने वेद व पुराण का महत्व बताते हुए कहा कि आज के वैज्ञानिक युग में वेद व पुराण की प्रासंगिकता को पूरा विश्व मान रहा है। हमें यह ध्यान रखना है कि हमारे जीवन में सात्विकता हो। एक प्रश्न के जवाब में उन्हें कहा कि वेदों में जीवन के हर प्रश्न का उत्तर है। वेद और उपनिषद का वाचन करने और सदगुरुओं के बताए मार्ग पर चलने से ईश्वर और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। मधुमक्खी व भंवरे के समान प्रत्येक मनुष्य का मन और मस्तिष्क चंचल होता है। इस चंचलता को सकारात्मक रूप में लें तो सुविचार से सफलता की प्राप्ति होती है।
पुरी पीठाधीश्वर ने कहाकि प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म व ग्रंथ के संबंध में जानकारी होनी चाहिए। धर्म मार्ग पर नहीं चलने वाला मनुष्य पशु के समान होता है। सभी को अपनी मर्यादा का भी ज्ञान होना आवश्यक है, तभी सफल जीवन का निवर्हन होगा। सभा के आयोजक वरिष्ठ चिकित्सक डा. चंद्रेश उपाध्याय ने बताया कि जगदगुरु शंकराचार्य 24 अक्टूबर को 11 बजे दिन में वीपीएल हास्पिटल में श्रद्धालुओं को आर्शीवचन देंगे। विधायक कपिलवस्तु श्यामधनी राही, अध्यक्ष नगर पालिका श्यामबिहारी जायसवाल, डा. अरविद शुक्ला, डा. शक्ति जायसवाल समेत कई गण्यमान्य व्यक्ति सभा में मौजूद रहे।