जलस्तर घटने के साथ तेज हुई कटान

नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों पर हुई बारिश से राप्ती जलस्तर के चलते जहां लोग बाढ़ की आशंका को लेकर चितित थे वहीं सोमवार को नदी घटने लगी तो फिर जगह-जगह कटान तेज हो गई। जिसको लेकर ग्रामीण भयभीत हो उठे हैं। नागरिकों का कहना है कि समय से सुरक्षा के उपाय किए जाते तो आज इतनी चिता नहीं सताती।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 11:36 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 11:36 PM (IST)
जलस्तर घटने के साथ तेज हुई कटान
जलस्तर घटने के साथ तेज हुई कटान

सिद्धार्थनगर : नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों पर हुई बारिश से राप्ती जलस्तर के चलते जहां लोग बाढ़ की आशंका को लेकर चितित थे, वहीं सोमवार को नदी घटने लगी तो फिर जगह-जगह कटान तेज हो गई। जिसको लेकर ग्रामीण भयभीत हो उठे हैं। नागरिकों का कहना है कि समय से सुरक्षा के उपाय किए जाते तो आज इतनी चिता नहीं सताती।

राप्ती नदी का जल स्तर घटते ही तट पर बसे गागापुर, विशुनपुर औरंगाबाद, आजाद नगर, बिजौरा के ग्रामीणों में दहशत देखी जा रही है। क्योंकि यहां नदी पहले ही काफी नुकसान पहुंचा चुकी है। जलस्तर में बढ़ाव हो या घटाव, दोनों ही स्थिति में यहां के लोग परेशान हो उठते हैं। डेढ़ दशक पूर्व नदी यहां से कोसों दूर बह रही थी, परंतु अब नदी गांव के तमाम परिवारों की कृषि योग्य जमीन स्वयं में समाहित कर इनको भूमिहीन बना चुकी है। कई मकान भी नदी के गर्भ में समा चुके हैं। अभी बहुत सारे मकान किनारे हैं, जो कभी भी नदी में बह सकते हैं।

विगत वर्ष आई बाढ़ ने तटवर्तीय क्षेत्रों में काफी क्षति पहुंचाई थी। तमाम अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों ने मौके का निरीक्षण कर बाढ़ सुरक्षा कार्य कराने का वादा किया था। प्रस्ताव बने और स्वीकृत भी हुए, मगर अमल में अभी तक परियोजना नहीं आ सकी है। ऐसे में अगर बाढ़ आ गई तो फिर प्रस्ताव अथवा धन की स्वीकृति का क्या मतलब रह जाएगा, ऐसा यहां के ग्रामीणों को मानना है।

गागापुर निवासी कमला प्रसाद भारती ने कहा कि जलस्तर घटते ही कटान तेज हो गई है। कटान अब आबादी से काफी नजदीक पहुंच चुकी है। कभी भी तबाही मच सकती है। शाहपुर-भोजपुर बांध पूर्ण होता तो शायद पूरा क्षेत्र सुरक्षित रहता।

औरंगाबाद विशुनपुर निवासी बच्चा राम मिश्र का कहना है कि राप्ती के कहर के चलते उनके गांव के लोग परेशान रहते हैं। कई बीघा खेत नदी में समां चुके हैं। कब नदी गांव के लिए खतरा बन जाए, इसका आशंका बरसात शुरू होते ही बन जाती है।

गागापुर के रहने वाले इमरान ने कहा कि सैकड़ों बीघा कृषि योग्य भूमि अब तक नदी में समाहित हो चुकी है। इस बार भी कटान तेज है। बावजूद इसके जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन के लोगों की नजर इस पर नहीं पड़ रही है।

गागापुर के छोटू गुप्ता का कहना है कि कटान से दहशत बनी हुई है। उनके घर से नदी के बीच की दूरी 15 से 20 मीटर बची हुई है। दिन का सुकून व रात की नींद छिन चुकी है। सुरक्षा की ²ष्टि से कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।

सिंचाई विभाग के जेई कालिका प्रसाद ने कहा कि कटान क्षेत्रों में नजर रखी जा रही है। वैसे शाहपुर-भोजपुर बांध की परियोजना स्वीकृत हो चुकी है। इसमें गागापुर कटान वाले क्षेत्र में भी कार्य होने हैं। बरसात के बाद इस पर कार्य शुरू हो जाएंगे।

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