पुल की छत छूने को आतुर बूढ़ी राप्ती
बूढ़ी राप्ती की उफान से परसोहन इमलिया लमुइया कोहलवा बसन्तपुर बेलभरिया पटवारिया गदाखौवां दलपतपुर आदि गांवों में बाढ़ की स्थिति विकट बन गई है। बिस्कोहर-पचपेड़वा मार्ग पर पानी का बहाव तेज होने के कारण आवागमन जान में जोखिम के समान हो गया है।
सिद्धार्थनगर : नेपाल के पहाड़ों पर लगातार हो रही बारिश के बीच इटवा तहसील अंतर्गत बूढ़ी राप्ती के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है। नदी न केवल खतरे के निशान को पार कर गई है, बल्कि अब नदी की छत को छूने को आतुर दिख रही है। स्थिति गंभीर देख तटवर्ती गांवों के लोग सहमे हुए हैं। मुख्य मार्ग पानी में डूब गए हैं तो अब गांवों में पानी घुसने लगा है। सैकड़ों एकड़ धान की फसल जलमग्न है, बाढ़ फसलों के साथ किसानों के अरमानों को भी डूबो दिया है।
बूढ़ी राप्ती की उफान से परसोहन, इमलिया, लमुइया, कोहलवा, बसन्तपुर, बेलभरिया, पटवारिया, गदाखौवां, दलपतपुर आदि गांवों में बाढ़ की स्थिति विकट बन गई है। बिस्कोहर-पचपेड़वा मार्ग पर पानी का बहाव तेज होने के कारण आवागमन जान में जोखिम के समान हो गया है। सर्वाधिक खतरा परसोहन पुल के निकट इमलिया गांव के पास है। परसोहन बांध पर भी पानी का दबाव बढ़ाने लगा है। राजेश कुमार ने बताया कि पुल का एप्रोच व पटरी कटकर ध्वस्त हो चुकी है। जलस्तर बढ़ने और कटान की यही स्थिति रही तो फिर पुल का रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाएगा। फिलहाल सुरक्षा की दृष्टि से अभी तक जिम्मेदारों की ओर से कोई जरूरी कदम नहीं उठाए गए हैं। राजू ने बताया कि बढ़ते जलस्तर ने रात की नींद दिन का सुकून छिन चुका है। अब तो लगता है कि बाढ़ भारी तबाही की कहानी लिखकर ही जाएगी। सूर्यकान्त मौर्या व दिनेश ने कहा कि आंखों के सामने फसल बर्बाद हो रही है और किसान बेबसी से इसको देख रहा है। प्रेम कुमार, राहुल ने कहा कि पशुओं के चारे की व्यवस्था कर पाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।
उपजिलाधिकारी उत्कर्ष श्रीवास्तव ने कहा कि आज उक्त गांवों का निरीक्षण किया गया है। प्रशासन पूरी नजर रखे हुए हैं। सुरक्षा एवं राहत की दिशा में आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।